नई दिल्ली: फर्जी खबरों को रोकने के लिए व्हाट्सएप ने दुनियाभर में 20 रिसर्च टीमें बनाई हैं। व्हाट्सएप ने इसका ऐलान मंगलवार को किया। इन 20 टीमों में कई रिसर्चर भारत के हैं तो कई भारत से जुड़े हैं। सभी का काम ये खोजना होगी कि कैसे फर्जी जानकारी फैलने लगती है और इन्हें कैसे रोका जा सकता है।
बताया जा रहा है कि जुलाई में व्हाट्सएप ने रिसर्च पेपर्स मंगाए थे. जिसके बाद दुनियाभर से लगभग 600 रिसर्च टीमों ने अपने प्रपोजल्स भेजे थे। फर्जी खबरों पर लगाम कसने के लिए कोशिश करने के क्रम में अब व्हाट्सएप ने 20 टीमें बनाई हैं। व्हाट्सएप इसके लिए 10 लाख डॉलर खर्च करेगा। अपने एक स्टेटमेंट में व्हाट्सएप ने कहा कि 'हर टीम को उनकी रिसर्च के लिए हम 50,000 डॉलर देंगे.'
अलग-अलग टीम को अलग-अलग पेपर्स पर रिसर्च करनी है। जैसे- "WhatsApp Vigilantes? WhatsApp messages and mob violence in India" रिसर्च पेपर पर काम करने के लिए लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (LSE) की शकुंतला बानाजी और रामनाथ भट्ट को चुना गया है। इसके अलावा बेंगलुरु के Maraa (मीडिया संस्थान) के निहल पसंहा और अनुषी अग्रवाल भी इसपर रिसर्च करेंगे।
ये सभी इस बात पर रिसर्च करेंगे कि व्हाट्सएप पर आए मैसेज को लोग कितनी गंभीरता से लेते हैं और क्या वजह है कि फर्जी खबरों के कारण लोग भीड़ बना कर किसी को मार भी देते हैं। रिसर्च में इन खबरों को कैसे रोका जा सकता है इसके भी तरीके ढूंडे जाएंगे। बताया जा रहा है कि ‘लिंचिंग' के चलते करीब 30 लोगों की अभी तक हत्या हो चुकी है।
इसी वजह से भारत सरकार पिछले कई दिनों से फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के लिए व्हाट्सएप पर दवाब बना रही थी। पिछले दिनों भारत सरकार ने व्हाट्सएप को निर्देश दिया था कि वो फेक न्यूज और भड़काऊ मैसेजेज को रोकने के लिए काम करे।