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काउंटर से टिकटों की बुकिंग के लिए रेलवे लेकर आया यह नई सुविधा, जानें बड़ी बातें!

भारतीय रेलवे ने टिकट की बुकिंग कराने वालों के लिए एक नई सुविधा का ऐलान किया है। जानें, क्या है यह और इसके फायदे...

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 03, 2017 19:15 IST
Representational Image | PTI Photo- India TV Hindi
Representational Image | PTI Photo

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने टिकट की बुकिंग कराने वालों के लिए एक नई सुविधा का ऐलान किया है। अब आप रेलवे काउंटर पर ट्रेन टिकट के लिए BHIM ऐप के जरिए भुगतान कर सकते हैं। आपको बता दें कि ई-टिकट बुकिंग के लिए UPI/BHIM के जरिए भुगतान की सुविधा पहले से ही मौजूद है। BHIM यानि कि भारत इंटरफेस फॉर मनी ऐप के जरिए अब पैसेंजर्स रिजर्वेशन सिस्टम (PRS) काउंटरों से रिजर्व्ड टिकट बुकिंग के साथ-साथ अनरिजर्व्ड टिकटिंग सिस्टम (UTS) काउंटरों से सीजन टिकट (मंथली/क्वॉर्टरली) के लिए भुगतान कर सकते हैं। आइए, आपको बताते हैं इस नए सिस्टम की बड़ी बातें...

3 महीने तक नहीं लगेगा ट्रांजैक्शन चार्ज: टिकट बुकिंग की यह नई सुविधा यात्रियों के लिए 3 महीने के लिए बिल्कुल मुफ्त होगी। इसका मतलब यह है कि इसके जरिए टिकटों की बुकिंग करने पर इस दौरान इस किसी भी तरह का ट्रांजैक्शन चार्ज नहीं लगेगा। इसके अलावा यात्रियों को अपनी यात्रा से जुड़े विवरण साझा करने पर रेलवे काउंटर पर अदा किए जाने वाले किराए के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी।

यूं होगी टिकटों की बुकिंग: यदि कोई यात्री UPI/BHIM ऐप के जरिए भुगतान करना चाहता है तो काउंटर पर बैठा कर्मचारी UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) को पेमेंट ऑप्शन के तौर पर चुनेगा और यात्री के वर्चुअल पेमेंट अड्रेस (VPA) के लिए रिक्वेस्ट करेगा। कर्मचारी को ट्रांजैक्शन शुरू करने के लिए वर्चुअल पेमेंट अड्रेस (VPA) को दर्ज करना होगा। इसके बाद पैसेंजर को भुगतान की पुष्टि करने के लिए उसके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर पेमेंट रिक्वेस्ट मिलेगा। यात्री द्वारा पेमेंट रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने के बाद उसके लिंक्ड अकाउंट से किराए की राशि कट जाएगी। 

बस हो गया काम: ट्रांजैक्शन के सफल होने और सिस्टम पर वेरिफाइड होने के बाद काउंटर पर बैठा कर्मचारी टिकट को प्रिंट करके यात्री को सौंप देगा। आपको बता दें कि लॉन्च होने के एक साल से भी कम समय में BHIM ऐप से रोजाना होने वाले लेन-देन की संख्या 2.8 लाख पहुंच चुकी है। दरअसल, अक्टूबर 2016 के बाद ई-टिकट्स की बुकिंग्स में तो बेतहाशा वृद्धि हुई थी, लेकिन काउंटर पर सिर्फ 2-3 पर्सेंट ट्रांजैक्शन की कैशलेस हो रहे थे। यही वजह है कि रेलवे ने बुकिंग की यह नई व्यवस्था लाने का फैसला किया।

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