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आईफोन और आईपैड का ज़िक्र आने पर याद आते हैं स्टीव जॉब्स

नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शामिल एप्पल का नाम जेहन में आते ही उसके संस्थापक स्टीव जॉब्स का नाम भी याद आ जाता है। अगर कहें कि एप्पल और स्टीव एक-दूसरे

Manoj Sharma
Updated : February 24, 2016 11:54 IST
Steve Jobs secured a place in History
Steve Jobs secured a place in History

नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शामिल एप्पल का नाम जेहन में आते ही उसके संस्थापक स्टीव जॉब्स का नाम भी याद आ जाता है। अगर कहें कि एप्पल और स्टीव एक-दूसरे के पूरक हैं, तो गलत नहीं होगा। दरअसल स्टीव जॉब्स को याद करने की सबसे बड़ी वजह यही है कि उन्होंने एप्पल जैसी कंपनी की स्थापना की और फिर उसके बैनर तले आईपैड, आईफोन और आईपॉड जैसे क्रांतिकारी प्रॉडक्ट्स यूज़र्स के लिए बनाए।

यह भी सच है कि स्टीव के जाने के बाद एप्पल ने कुछ ऐसी घोषणाएं कीं और कुछ ऐसे प्रॉडक्ट्स लॉन्च किए, जो एप्पल के महान संस्थापक की मान्यताओं के अनुरूप नहीं हैं, लेकिन इससे स्टीव का कद कम नहीं हो जाता। दरअसल एप्पल ने कुछ महीने पहले 12.9-इंच के टैबलेट (आईपैड प्रो) के साथ नई स्टाइलस (एप्पल पेंसिल) लॉन्च की थी। आपको बता दें कि जॉब्स ने 2007 में एक प्रॉडक्ट की लांचिंग के दौरान स्टाइलस के प्रति अपनी घृणा का प्रदर्शन किया था औऱ कहा था – किसे ज़रूरत है स्टाइलस की? किसी को नहीं!

जॉब्स के निधन के बाद कंपनी के मुख्य कार्यकारी बने टिम कुक ने कुछ ऐसे फैसले किए जो जॉब्स के विज़न वाले रास्ते से अलग लगते हैं। जॉब्स जहां बड़े स्क्रीन वाले टैबलेट के खिलाफ थे, वहीं कुक ने 2014 में काफी बड़े आकार का आईफोन6 और 6 प्लस लांच किया। यह भी ठीक है कि इन फैसलों से एप्पल को इतना फायदा हुआ कि उसने एक तिमाही में सबसे ज़्यादा लाभ कमाने का रिकार्ड ही बना डाला।

इसके साथ ही कुक के काल में कंपनी ने एप्पल टीवी जैसी कई सेवाएं लांच की, जबकि जॉब्स की राय थी कि माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल को कभी भी स्ट्रीमिंग और सब्सक्रिप्शन वाली सेवाएं लांच नहीं करनी चाहिए। बाजार में उतारी गई एप्पल वॉच भी कुक की मौलिक सोच थी। इस वॉच को पूरी तरह से कुक के नेतृत्व में तैयार किया गया था, और इसमें दिवंगत संस्थापक का कोई योगदान नहीं था।

जॉब्स बहुत छोटे साइज़ के टैबलेट बनाने के भी खिलाफ थे, लेकिन कंपनी ने 2012 में 7.9 इंच का आईपैड मिनी लांच किया। कंपनी ने कुक के नेतृत्व में ऑडियो इंजीनियरिंग कंपनी बीट्स खरीदी, जबकि जॉब्स का मानना था कि स्टार्टअप्स को खरीदने से अच्छा उसका खुद ही विकास करना होता है।

इतना सबकुछ होने पर भी यह भूला नहीं जा सकता कि दुनिया की सबसे महान टेक कंपनियों में शामिल एप्पल अगर आज इतनी बड़ी हो सकी है, तो सिर्फ स्टीव जॉब्स के विज़न की वजह से औऱ इस बात को कुक और सारी दुनिया स्वीकारती भी है। दरअसल स्टीव ने जिन प्रॉडक्ट्स को डेवलेप किया, वे अपने-आप में एक नई इंडस्ट्री ही बन गए - आईपैड और आईपॉड जैसे प्रॉडक्ट्स इसके उदाहरण हैं। तो जब तक आईफोन, आईपैड, आईपॉड औऱ मैकबुक्स हैं, जबतक एप्पल है, कम से कम तब तक तो स्टीव जॉब्स प्रासंगिक हैं। और जब ये प्रॉडक्ट्स नहीं रहेंगे, तब भी स्टीव जॉब्स का ऐतिहासिक महत्व एक ऐसे आविष्कारकर्ता के रूप में बरकरार रहेगा, जिसने करोड़ों लोगों के जीने और सोचने का तरीका ही बदल दिया।

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