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ये मोबाइल ऐप उठाएगी इंसान की नींद के पैटर्न पर से परदा

दुनिया भर में 30 से 60 साल उम्र के बीच की महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा सोती हैं, जबकि मध्य आयु के पुरुष कम सोते हैं।

India TV Tech Desk
Updated on: May 07, 2016 20:16 IST
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न्यूयॉर्क: दुनिया भर में 30 से 60 साल उम्र के बीच की महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा सोती हैं, जबकि मध्य आयु के पुरुष कम सोते हैं। यहां तक कि वे जरूरी सात घंटों से कम नींद लेते हैं। एक स्मार्टफोन एप के माध्यम से 100 देशों में किए गए अध्ययन से यह जानकारी मिली है। मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो लोग सूरज की रोशनी में कुछ समय रोजाना रहते हैं, वे बिस्तर में जल्दी जाते हैं और उनके मुकाबले ज्यादा नींद लेते हैं, जो सूरज की रोशनी में कम वक्त बिताते हैं।

इस दल ने एक मुफ्त एप की मदद से 100 देशों के हजारों लोगों की नींद के पैटर्न का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि सांस्कृतिक दवाब लोगों के शरीर की प्राकृतिक घड़ी को प्रभावित करता है, जिसका नतीजा सबसे ज्यादा बिस्तर पर नजर आता है। सुबह के काम जैसे कार्यालय, घर, बच्चे, स्कूल आदि लोगों के जगने के समय पर गहरा असर डालते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद पर असर डालने के इनके अलावा कई अन्य कारण भी हैं।

मिशिगन विश्वविद्यालय की कॉलेज ऑफ लिटरेचर, साइंस एंड आर्ट्स के डेनियल फोर्जर का कहना है, "सभी देशों में यह देखा गया कि समाज ही हमारी नींद को निर्धारित करता है और देर से बिस्तर में जाने का नतीजा नींद में कमी के रूप में सामने आता है।" गणित विभाग की डॉक्टोरल छात्रा ओलिविया वाल्स कहती हैं, "ज्यादातर लोग जितना समझते हैं, नींद उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर आप रात में छह घंटे भी नींद लेते हैं तो आप नींद की कमी से जूझ रहे हैं।"

हमारे शरीर के अंदर जैविक घड़ी होती है, जो हमारे सोने और जगने के समय को निर्धारित करती है। यह घड़ी चावल के दाने के आकार की होती है, जो आंखों के पीछे 20,000 न्यूरॉन्स का समूह होता है। यह प्रकाश के प्रति संवेदनशील होता है और खासतौर से यह सूरज की रोशनी के प्रति संवेदनशील होता है, जो हम अपनी आंखों से देखते हैं। कुछ साल पहले इन्हीं शोधकर्ताओं ने एक एप जारी किया था, जिसका नाम 'एनट्रेन' था। यह मुसाफिरों को नए टाइम जोन में जाने पर उन्हें समायोजित करता था।

इस एप से मिले आकंड़ों से शोधकर्ताओं ने पाया कि सिंगापुर और जापान के लोगों के सोने का राष्ट्रीय औसतन सात घंटे 24 मिनट के आसपास है, जबकि नीदरलैंड के लोगों की नींद का औसत आठ घंटे 12 मिनट है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हरेक आधे घंटे की नींद हमारे शरीर की प्रणाली और दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है। वाल्स कहती हैं, "अगर आप लगातार ज्यादा दिनों तक नींद की कमी से जुझते हैं तो यह आपके शरीर पर गहरा असर डालता है।"

उनका कहना है कि लोग सोचते हैं कि कम नींद से उनकी कार्यक्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता, जबकि यह गलत है। वे जोर देकर कहती हैं, "आपकी कार्यक्षमता कम हो जाती है, लेकिन आपको उसका अहसास नहीं होता।"

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