सैन फ्रांसिस्को: यूरोपीय संघ (EU) के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) के शुक्रवार को प्रभावी हो जाने के बाद Google व Facebook के खिलाफ निजता संबंधी शिकायतें सामने आई हैं, जिससे दोनों कंपनियों पर 9.3 अरब डॉलर (लगभग 63 हजार करोड़ रुपये) का जुर्माना लग सकता है। सीनेट की रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया की प्राइवेसी एडवोकेसी ग्रुप नोयब डॉट ईयू ने कहा, ‘निजता के संबंध में गूगल, फेसबुक और फेसबुक की स्वामित्व वाली वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम लोगों को 'टेक इट या लीव इट' का विकल्प अपनाने के लिए जोर डालती है, जिसके अंतर्गत अनिवार्य रूप से उपयोगकर्ता द्वारा सेवा की दखल देने वाली शर्तों को मानने के लिए बाध्य किया जाता है।’
ग्रुप के बयान के मुताबिक, कई बार ऑनलाइन या आवेदन के रूप से कई 'सहमति बॉक्स (कॉसेंट बॉक्सेस)' एक धमकी के साथ सामने आता है कि अगर उपयोगकर्ता ने सहमति नहीं जताई तो वह सेवा का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। ग्रुप ने नियामकों से फ्रांस, बेल्जियम, जर्मनी और ऑस्ट्रिया से कंपनियों पर जीडीपीआर कानून के अनुसार सालाना राजस्व का 4 प्रतिशत जुर्माना लगाने के लिए कहा है। GDPR यूरापीय संघ में प्रत्येक व्यक्ति को उसकी निजी सूचना पर नियंत्रण रखने का और अधिकार मुहैया कराता है। यह शुक्रवार से प्रभावी हो गया है।
क्या है GDPR?
जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेग्युलेशन (GDPR) यूरोपियन यूनियन के देशों का नया प्राइवेसी कानून है। GDPR अब 1995 में बने पुराने कानून की जगह लिया है। इसके अमल में आने के बाद अब कंपनियों को आपके डेटा का किसी भी तरीके से इस्तेमाल करने में इस बात का ख्याल रखना होगा कि वह पूरी तरह सुरक्षित रहे। इस कानून के आने के बाद यूजर्स को भी अपने पर्सनल डेटा पर पहले से ज्यादा कंट्रोल मिल गया है।