लंदन: सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक में महिला कर्मचारियों से अकसर ऐसी भड़काऊ ड्रेसेज नहीं पहनने को कहा जाता था जिससे सहयोगी कर्मियों का ध्यान भंग हो। कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी की किताब में यह दावा किया गया है। समाचार पत्र टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक में काम कर चुके एंटोनियो गर्सिया मार्टिनेज ने अपनी किताब, 'Chaos Monkeys' में यह आरोप लगाए हैं। मार्टिनेज ने दावा किया है कि हमारे पुरुष मानव संसाधन प्राधिकरण ( male HR authority) को पसंद नहीं है कि कोई महिला कर्मचारी उनके सामने छोटे और खुले कपड़े पहनकर ऑफिस में आएं।
मार्टिनेज ने कहा कि विभाग का मानना है कि ऐसे कपड़े पहनने से ऑफिस में काम कर रहे सह-कर्मचारियों का ध्यान विचलित हो जाता है। जानकारी के अनुसार, फेसबुक टीम में अभी भी सफेद और एशियाई पुरुषों का वर्चस्व बना हुआ है। टेकक्रंच ने पिछले साल की रिपोर्ट में कंपनी के नवीनतम जनसांख्यिकीय रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि फेसबुक की विविधता में केवल मामूली सुधार हुआ है। हालांकि फेसबुक ने अपनी कंपनी में इस साल 2,897 कर्मचारियों को जोड़ा है। गिनती में 40 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद, एक साल पहले की तुलना में 10,082 व्यक्तियों की कंपनी में सभी कर्मचारियों के एक हिस्से के रूप में केवल एक प्रतिशत ही महिलायें हैं। पूर्व फेसबुक कर्मचारियों ने दावा किया है कि लिंगभेद के आरोपों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
मार्टिनेज ने अपनी किताब में लिखा था कि, "ऐसा ही एक उदाहरण विज्ञापन विभाग में आई सोलह साल कि एक प्रशिक्षु लड़की के साथ हुआ जो नियमित रूप से बूटी शॉर्ट्स (छोटे कपड़ों) में आया करती थी। यह लगभग मज़ाक के तौर पर अनुचित था, लेकिन इस तरह के आदेश के कारण उसे रोका गया था। मार्टिनेज ने यह भी दावा है कि फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग को गुस्सा बहुत आता है। मार्टिनेज ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, एक अज्ञात कर्मचारी ने प्रेस के नए नियमों की सुविधा का ब्यौरा लीक किया जिसमें ज़ुकरबर्ग ने कथित तौर पर पूरे कार्यालय में ईमेल के जरिए लिखकर भेजा 'कृपया इस्तीफा दें' क्योंकि उस अज्ञात कर्मचारी ने टीम को धोखा दिया है। रिपोर्ट में कहा गया कि मार्टिनेज के द्वारा लगाए गए आरोपों पर फेसबुक के प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी नहीं की। जनसांख्यिकीय रिपोर्ट के बारे में एक ब्लॉग पोस्ट में, फेसबुक ने स्वीकार किया था, 'यह हम सभी के लिए स्पष्ट है कि हमें अभी भी जहां होना चाहिए वहां हम नहीं हैं।'