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आपकी पसंद से फेसबुक और गूगल पैसा कूट रहे हैं, जानिए कैसे?

नई दिल्ली: आपकी पसंद क्‍या है? आपके लिए सबसे जरूरी बात क्‍या है, जिसे आप जानना चाहते हैं, ऐसी कौन सी बात है जिसका मूल्‍य आपके लिए आपकी जिंदगी में सबसे खास है? इसे कोई

Rajesh Yadav
Updated : January 20, 2016 20:42 IST
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नई दिल्ली: आपकी पसंद क्‍या है? आपके लिए सबसे जरूरी बात क्‍या है, जिसे आप जानना चाहते हैं, ऐसी कौन सी बात है जिसका मूल्‍य आपके लिए आपकी जिंदगी में सबसे खास है? इसे कोई सबसे बेहतर जानता है, तो वह स्‍वयं आप हैं, और हम में से हर कोई ऐसा ही होता है। जैसे कि हर इंसान का डीएनए अलग होता है, उसी तरह से लोगों की पसंद-नापसंद भी अलग-अलग होती है। और आजकल डिजिटल वर्ल्‍ड में आपकी पसंद के आधार पर ही नए प्रोडक्‍ट लाए जा रहे हैं और उसको आपकी जरूरत के हिसाब से अपडेट किया जा रहा है। फेसबुक और गूगल,एप्‍पल आजकल यहीं कर रहे हैं।

हालांकि स्‍टीव जॉब्‍स इस मामलें में थोड़ा अलग थे उनका मानना था कि प्रोडक्‍ट ऐसा होना चाहिए जो लोगों की जरुरत बन जाए, वह उनकी आदत बन जाए और वह इस मामले में कामयाब भी रहे। लेकिन उन्‍होंने भी मनुष्‍य की उस भावना के आधार पर ही प्रोडक्‍ट बनाया जिसके तहत हर इंसान कुछ नया और बेहतर चीज देखना पसंद करता है, ऐसा हम जिंदगी के लिए भी करते हैं। हममें से हर कोई अपनी जिंदगी को पहले से बेहतर बनाने का प्रयास करता है। आजकल कंपनियां भी ऐसा कर रही हैं और करें भी क्‍यों ना? आखिर आज लोग कुछ नया और बेहतर की उम्‍मीद जो करते हैं, ऐसा हम सभी के साथ होता है।

यह सही है कि पसंद का दायरा भौगोलिक,सामुदायिक और आपके आसपास जो वातावरण आपको मिल रहा है, उसके आधार पर तय होता है। इसलिए यह अपने आप में काफी अलग और बड़ा संसार है, इसलिए कहा जाता है कि पसंद अपनी-अपनी। लेकिन जब आप कोई प्रोडक्‍ट बनाते है तो आप अपने टारगेट समूह की पसंद के हिसाब से चीजों को डिजाइन कर रहे हैं और उसकी पसंद को ध्‍यान में रखते हुए चीजें कर रहे हैं, तो आपकी सफलता की दर बढ़ जाती है।

ताजा मामला फेसबुक की न्‍यूजफीड की देख लीजिए, फेसबुक ने जो ताजा बदलाव किए हैं वह यूजर की पसंद के आधार पर किया है और उसे इस बात की आजादी दी है कि वह अपनी वॉल पर किस तरह के कंटेट, फोटो या वीडियो देख सकता है और यह सब करते समय फेसबुक ने अपने यूजर की पसंद को आधार बनाकर चीजें तय कीं।

फेसबुक का लक्ष्‍य क्‍या है ?

फेसबुक का लक्ष्‍य क्‍या है, बहुत सिंपल सी बात है वह अपने यूजर को फीलगुड अनुभव देना चाहता है और लोकतांत्रिक आजादी जिसमें वह अपनी फेसबुक वॉल पर चीजें खुद तय कर सके। उसे इस बात का पूरा कंट्रोल दिया जाए कि वह अपनी फेसबुक वॉल पर अपनी पसंद की चीज देख सकें। वह उसके दोस्‍त की पोस्‍ट, फोटो, वीडियो या फिर ऐसी न्‍यूज हो सकती है जिसे वह देखना, पढ़ना पसंद करता हो और इन सब बातों के साथ फेसबुक अपने प्रोडक्‍ट को एड मार्केट में अधिक पैसा भी बनाना चाहता है।

आखिर फेसबुक ने यह किया कैसे?

आप किस तरह की पोस्‍ट को लाइक करते हो, ऐसी कौन सी पोस्‍ट होती है जिन पर आप कमेंट करना अधिक पसंद करते हो, आप किस तरह के फोटो को लाइक करते हो और दूसरों के साथ आप किस तरह के कंटेट को शेयर करते हो। ये कुछ ऐसे फैक्‍टर है जिसके आधार पर फेसबुक आपकी पसंद तय करता है और आपकी न्‍यूजफीड में उसी तरह के कंटेट अधिक दिखाने का प्रयास करता है। मतलब साफ है आपकी पसंद के अनुसार ही आपकी वॉल पर कंटेट आता है और अगर आप उस पर इंगेज होते हैं तो फेसबुक आपको उस तरह के कंटेट देता है, फेसबुक न्‍यूजफीड में यह अब तक का सबसे बड़ा बदलाव है।

तो क्‍या फेसबुक के बदलाव से आपको हुआ नुकसान

मैं ऐसे कई लोगों से पिछले दो माह में मिला जो विभिन्‍न डिजिटल मीडिया कंपनी से जुड़े हुए हैं और पिछले दिनों हुए बदलाव के बाद हर किसी ने माना कि उनकी वेबसाइट के pvs और uvs कम हुए है। टॉप इंटरनेशनल अंग्रेजी वेबसाइट की बात करें तो The Haffington Post के फेसबुक पेज का ट्रैफिक को 2015 के पहले तीन र्क्‍वाटर में 60 फीसदी का नुकसान हुआ, Buzzfeed.com और Fox News, दोनों फेसबुक पेज को इसी तरह 40 फीसदी ट्रैफिक का नुकसान हुआ है। डिजिटल मीडिया के 10 साल के अनुभव, वरिष्‍ठ संपादकों और डिजिटल दुनिया के अपने पुराने साथियों से बात के आधार पर दावे के साथ कह सकता हूं कि भारत में भी तमाम वेबसाइट के ट्रैफिक को भारी नुकसान हुआ है। हिन्‍दी मीडिया के दिग्‍गजों और नई वेबसाइटों को भी।

मेरे लिए भी यह एक नया अनुभव है और डिजिटल संसार और इसको समझने वाले लोगों से जब बातें करता हूं तो बहुत मजेदार बातों के साथ कुछ अच्‍छे तर्क भी सुनने को मिलते हैं। एक मीडिया कंपनी में सोशल मीडिया पेज देख रहे मेरे एक मित्र का कहना है कि भाई इस बदलाव ने परेशान करके रख दिया, डिजिटल संसार को जिसने थोड़ा-सा भी समझा होगा वह इस बात को अच्‍छे से समझ सकता है, वरना पेज व्‍यू और ट्रैफिक को समझने वाले बहुत कम लोग ही हैं।

अधिक यूजर तक पहुंचना है तो पैसा खर्च करना होगा

खैर फेसबुक का संदेश साफ है अगर आप अपने ब्रांड के लिए फेसबुक यूजर तक पहुंचना चाहते हैं तो आपको फेसबुक यूजर की पसंद के हिसाब से कंटेट पोस्‍ट करना होगा और अधिक यूजर तक पहुंचने के लिए आपको फेसबुक को पहले की अपेक्षा अधिक भुगतान भी करना पड़ेगा।

मीडिया में कहा जाता है कि हर खबर अपना स्‍थान खुद तय करती है, लेकिन फेसबुक के नए बदलाव के बाद यह बात उतनी सही नहीं लगती क्‍योंकि अगर आपकी न्‍यूज अच्‍छी है लेकिन उसकी रीच आपके फेसबुक पेज पर कम है तो उसे देखे जाने की संभावना कम होगी। लेकिन जब आप उसे BOOST करते हैं तो फेसबुक उसे अधिक यूजर तक पहुंचाने में आपकी मदद करता है। आपकी खबर से फेसबुक पैसा बना रहा है,वह भी यूजर की पसंद के आधार पर।

डिजिटल पत्रकारिता बनाम बूस्‍ट जर्नलिज्‍म?

कुछ मीडिया के लोग फेसबुक पर आरोप लगा सकते हैं कि वह खबरों को अधिक यूजर तक पहुंचने से रोक रहा है, दरअसल ऐसा कहना बचकानी बात है, फेसबुक ने अपने यूजर अपने प्रोडक्‍ट के दम पर बनाया है,यह उसका अधिकार है कि वह अपने प्रोडक्‍ट को कैसे उपयोग करता है। लेकिन यह भी एक बड़ा सवाल है कि क्‍या आज फेसबुक ऐरा में डिजिटल पत्रकारिता बूस्‍ट जर्नलिज्‍म बनकर रह जाएगी या फिर अपना नया रास्‍ता किसी मंच से खुद बनाएगी। फेसबुक अपने यूजर को लोकतांत्रिक मंच देने का दावा करता है, लेकिन इस तरह के बदलाव उसके दावे पर सवाल भी उठाते हैं?

फिलहाल तो लोगों की पंसद और मीडिया के कंटेट से अगर कोई सबसे अधिक पैसा बना रहा है तो वह गूगल और फेसबुक है।

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