Highlights
- मुरली श्रीशंकर ने क्वालिफिकेशन राउंड में 8 मीटर की छलांग से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था
- फाइनल राउंड के पहले अटेम्प्ट के बाद मुरली टॉप पर थे
- अगले दो अटेम्प्ट में मुरली ने किए फाउल और भारत की उम्मीदें टूट गईं
World Athletics Championship: भारत के लिए मौजूदा वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पदक की उम्मीद जगाने वाले मुरली श्रीशंकर (Murali Sri Shankar) के हाथ फाइनल राउंड में निराशा। वह ओवरऑल सातवें स्थान पर रहे। इस राउंड में वह क्वीलिफिकेशन राउंड के भी अपने प्रदर्शन तक नहीं पहुंच पाए। इसी के साथ एक बार फिर भारत की 19 साल बाद भी इस वैश्विक टूर्नामेंट के इतिहास में पदक जीतने की उम्मीद टूट गई। आपको बता दें 2003 पेरिस वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत की महिला लॉन्ग जम्पर अंजू बॉबी जॉर्ज ने एकमात्र पदक (ब्रॉन्ज) इस इवेंट में जीता था।
फाइनल राउंड में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष एथलीट
यूएस के ओरेगन में चल रही इस चैंपियनशिप में भारतीय लॉन्ग जम्पर मुरली श्रीशंकर रविवार को ईवेंट के दूसरे दिन 7.96 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ फाइनल में सातवें स्थान पर रहे। हालांकि, टूर्नामेंट में मेडल चूकने के बावजूद मुरली श्रीशंकर के नाम एक अद्भुत रिकॉर्ड दर्ज हुआ। वह वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल्स के लिए क्वॉलिफाई करने वाले लॉन्ग जंप के पहले भारतीय पुरुष एथलीट हैं। फाइनल राउंड में मुरली का प्रदर्शन उनके क्वालिफिकेशन राउंड से भी कमतर आंका जा सकता है।
फाइनल राउंड में कैसा रहा मुरली का प्रदर्शन?
पुरुष लॉन्ग जम्प के फाइनल में मुरली श्रीशंकर की शुरुआत अच्छी थी। पहले प्रयास में वह टॉप पर थे और उन्होंने 7.96 मीटर की छलांग लगाई। इसके बाद उनका दूसरा प्रयास फाउल हो गया और बाकि 5 जम्पर्स ने दूसरे प्रयास में 8 मीटर की दूरी से ज्यादा की छलांग लगा दी। फिर मुरली फाइनल यानी तीसरे अटेम्प्ट लेने के लिए मान्य पाए गए। गौरतलब है कि शुरुआती दो अटेम्प्ट के बाद 12 में से टॉप-8 जम्पर्स को फाइनल अटेम्प्ट मिलता है, श्रीशंकर 7वें स्थान पर थे इसलिए वह तीसरे चांस के लिए मान्य पाए गए। लेकिन वह उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके और फाइनल प्रयास में भी वह फाउल कर बैठे। वह ओवरऑल इवेंट में 7वें स्थान पर रहे और चीन के जियानान वांग ने इस ईवेंट का गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
19 साल पहले मिला था मेडल
भारत को वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एकमात्र मेडल 19 साल पहले 2003 पेरिस में अंजू बॉबी जॉर्ज ने दिलाया था। वह वर्ल्ड चैंपियनशिप लॉन्ग जम्प फाइनल्स के लिए क्वॉलिफाई करने वाली पहली भारतीय थीं। वह मेडल जीतने वाली भी पहली भारतीय हैं जिन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
इस तरह भारत के लिए विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के दूसरे दिन का अंत हुआ। दिन की शुरुआत निराशाजनक रही जब पारुल चौधरी और एमपी जाबिर दोनों क्रमश: महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेज़ और पुरुषों की 400 मीटर हर्डल रेस के फ़ाइनल के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहीं। अब भारत को उम्मीद है अविनाश साबले से जिन्होंने 3000 मीटर स्टीपलचेज में प्रतियोगिता के पहले दिन उम्मीद के अनुरूप फाइनल में जगह बनाई थी।