पहलवानों और बृजभूषण शरण सिंह को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब विनेश फोगाट ने बड़ा फैसला किया है। पहले बृजभूषण के करीबी संजय सिंह WFI के चीफ चुने गए थे। इसके बाद ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक के संन्यास ले लिया था और बजरंग पुनिया ने पद्मश्री सम्मान वापस कर दिया था। फिर सरकार हरकत में आई और WFI की नई बॉडी को सस्पेंड कर दिया। जिसके बाद भारतीय कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष संजय सिंह और उनकी पूरी टीम को भी सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन अब विनेश फोगाट ने बड़ा कदम उठाया है।
विनेश फोगाट ने उठाया ये कदम
विनेश फोगाट ने मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड वापस करने का फैसला किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए इसके बारे में जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है कि साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मम श्री अवॉर्ड लौटा दिया है। देश के लिए ओलंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए किस लिए मजबूर होना पड़ा। यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं। मुझे साल 2016 याद है। जब साक्षी मलिक को ओलंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था।
आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ रही है तो मुझे साल 2016 याद आ रहा है। क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए बनी हैं। पर हमारी जिंदगियां उन विज्ञापनों जैसी बिल्कुल नहीं हैं। कुश्ती की महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में जो कुछ भोगा है। उससे समझ आता ही होगा कि हम कितना घुट घुट कर जी रही हैं। इसलिए अब मैं पुरस्कार लेती उस विनेश की छवि से छुटकारा पाना चाहती हूं। क्योंकि वह सपना था और अब हमारे साथ जो हो रहा है वह हकीकत। मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड दिया गया था, जिनका अब मेरी जिदंगी में कोई मतलब नहीं रह गया है।
साल 2016 में मिला था अर्जुन अवॉर्ड
हरियाणा की 29 साल की महिला पहलवान विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली एकमात्र महिला भारतीय पहलवान हैं। फोगाट ने इंटरनेशनल लेवल के टूर्नामेंट में भारत के लिए पांच स्वर्ण पदक जीते हैं। वह 2019 में लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स के लिए नामांकित होने वाली पहली एथलीट थीं। उन्हें 2016 में अर्जुन पुरस्कार और 2018 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। विनेश को 2020 में भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान, मेजर ध्यानचंद खेल रत्न भी मिला।