Rohan Bopanna: भारत के स्टार टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना को पेरिस ओलंपिक 2024 के मेंस डबल्स के पहले दौर में ही हार का सामना करना पड़ा था। बोपन्ना और एन श्रीराम बालाजी को फ्रांस की एडौर्ड रोजर-वेसलिन और गेल मोनफिल्स जोड़ी के खिलाफ 5-7 2-6 से हार का सामना करना पड़ा। हार के बाद उन्होंने कहा कि भारत के अपना आखिरी मैच खेल लिया है। बोपन्ना देश के लिए अपने करियर का अंत और बेहतर तरीके से करना चाहते थे। उन्होंने 22 साल के करियर में कई शानदार सफलताएं हासिल की हैं। बोपन्ना इस समय 44 साल के हो चुके हैं और अगला ओलंपिक 2028 में खेला जाएगा। तब वह 48 साल के हो चुके होंगे।
देश के लिए खेलने पर है गर्व: रोहन बोपन्ना
रोहन बोपन्ना ने खुद को 2026 एशियाई खेलों से बाहर करते हुए कहा कि यह निश्चित रूप से देश के लिए मेरा आखिरी टूर्नामेंट था। मैं पूरी तरह से समझता हूं कि मैं किस स्थिति में हूं। मैं अब जब खेल सकूंगा तब टेनिस का लुत्फ उठाउंगा। वह पहले ही डेविस कप से संन्यास की घोषणा कर चुके हैं। मैं जहां हूं वह मेरे लिए पहले ही किसी बड़े बोनस की तरह है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं दो दशकों तक भारत के लिए खेलूंगा। मैंने 2002 में करियर की शुरुआत की थी और 22 साल बाद भी भारत की तरफ से खेलने का मौका मिल रहा है। मुझे इस पर बेहद गर्व है।
रोहन बोपन्ना ने कहा कि अपना पहला पुरुष युगल ग्रैंड स्लैम जीतना और विश्व नंबर एक बनना बड़ी उपलब्धि रही है। मैं अपनी वाइफ सुप्रिया का आभारी हूं, जिन्होंने इस सफर में बहुत सारे बलिदान किए हैं। बोपन्ना अपने स्तर पर युगल खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं और अगर उन्हें भविष्य में अखिल भारतीय टेनिस संघ के संचालन में शामिल होने का मौका मिलता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जब मैं इसे करने के लिए तैयार हो जाऊंगा तो निश्चित रूप से उन पदों पर गौर करूंगा। मैं अभी प्रतिस्पर्धा और सफर कर रहा हूं ऐसे में अभी इस तरह की जिम्मेदारी नहीं निभा सकता हूं। मैं इस समय इसके प्रति अपना सौ प्रतिशत नहीं दे पाऊंगा।
डेविस कप के इस मैच को बताया सबसे यादगार
रोहन बोपन्ना ने कहा कि 2010 में ब्राजील के खिलाफ डेविस कप का पांचवां मुकाबला नेशनल टीम के लिए उनका सबसे यादगार मैच है। यह निश्चित रूप से डेविस कप इतिहास में एक है। वह अब तक मेरा सबसे अच्छा पल है। चेन्नई में वह पल और फिर सर्बिया के खिलाफ बैंगलोर में पांच सेट में मैच जीतना भी यादगार मौका था। उस समय टीम का माहौल शानदार था। लिएंडर पेस के साथ खेलना, कप्तान के रूप में महेश भूपति के साथ खेलना कमाल का अनुभव था।। उस समय मैं और सोमदेव देववर्मन एकल में खेलते थे और हम सभी ने पूरे जी-जान से मुकाबला किया था।
(Input: PTI)
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