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PT Usha Rajya Sabha Nomination: पीटी उषा को मिला राज्यसभा का टिकट, पीएम मोदी ने भारत की 'उड़नपरी' को दी बधाई

पीटी उषा को भारत सरकार द्वारा 1983 में अर्जुन पुरस्कार और 1985 में पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।

Written By: Priyam Sinha @@PriyamSinha4
Updated on: July 06, 2022 21:15 IST
पीएम मोदी और पीटी उषा- India TV Hindi
Image Source : TWITTER NARENDRA MODI पीएम मोदी और पीटी उषा

Highlights

  • पीटी उषा राज्यसभा के लिए हुईं नामित
  • भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार और पद्म श्री से भी सम्मानित हो चुकी हैं पीटी उषा
  • भारत की उड़नपरी और द पय्योली एक्सप्रेस नाम से भी हैं मशहूर

PT Usha Rajya Sabha Nomination: भारत की महान एथलीट और अपने समय की स्टार फर्राटा धाविका पीटी उषा को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है। उनके नॉमिनेशन के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उन्हें ट्विटर पोस्ट के जरिए बधाई दी। भारत की उड़नपरी नाम से मशूहर पीटी उषा को इंडियन ट्रैक एंड फील्ड इवेंट की क्वीन भी कहा जाता था। उनके नाम आज भी 400 मीटर हर्डल रेस में 55.42 सेकंड का नेशनल रिकॉर्ड दर्ज है।

'द पय्योली एक्सप्रेस' कही जाने वाली पीटी उषा के लिए पीएम मोदी ने लिखा कि,'पीटी उषा जी हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा हैं। खेल की दुनिया में उनकी उपलब्धियां जगजाहिर हैं। पिछले कुछ सालों में उभरते हुए एथलीट के मेंटोर के तौर पर उनका योगदान भी शानदार रहा है। राज्यसभा की लिए नामित होने पर उन्हें बधाई।' पीटी उषा के साथ ही फिल्म कंपोजर और संगीतकार इलैयाराजा, वीरेंद्र हेगड़े और वी. विजयेंद्र प्रसाद को भी राज्यसभा भेजा जा रहा है।

पीटी उषा के जीवन पर एक नजर

पीटी उषा का पूरा नाम पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल उषा है। 1980 के दशक में अधिकांश समय तक एशियाई ट्रैक-एंड-फील्ड इवेंट्स में वह हावी रहीं। उन्होंने कुल 23 पदक जीते, जिनमें से 14 स्वर्ण पदक थे। केरल के कुट्टाली गाँव में जन्मी, पीटी उषा ने अपने गांव के नजदीक ही पय्योली में पढ़ाई की। इसी कारण उन्हें ’द पय्योली एक्सप्रेस’ के नाम से भी जाना जाता है। वह जब महज 9 साल की थीं और चौथी कक्षा में थी उस वक्त वह पहली बार एक धाविका के तौर पर सामने आईं जब उन्होंने अपन से तीन साल सीनियर प्रतिद्वंद्वी को हराया। इसके बाद से उन्होंने विश्व पटल पर तिरंगे का नाम रोशन किया।

पीटी उषा की उपलब्धियां

पीटी उषा ने सबसे पहले 1980 के मॉस्को ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया। इसके बाद 1982 एशियन गेम्स और 1983 एशियाई चैंपियनशिप में उन्होंने कुल तीन सिल्वर और एक स्वर्ण पदक जीता। 1984 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक में उन्हें पदक जरूर नहीं मिला लेकिन उन्होंने भारत का नाम हर जगह रोशन कर दिया। इस ओलंपिक के 400 मीटर हर्डल इवेंट में उन्होंने एशियन रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। इसके बाद 1985 की एशियाई चैंपियनशिप में उन्होंने पांच गोल्ड मेडल अपने नाम किए। 

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फिर 1986 एशियन गेम्स में उन्होंने 4 और 1987 एशियाई चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीते। 1989 एशियाई चैंपियनशिप में भी उनके नाम 4 स्वर्ण पदक दर्ज हुए। आखिरी गोल्ड मेडल उन्होंने 1998 में एशियाई चैंपियनशिप में जीता था। उनको भारत सरकार की तरफ से 1983 में एथलेटिक्स के लिए अर्जुन पुरस्कार और 1985 में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया। 

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