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ओलंपिक में भारत को ऐसे मिल सकता था हॉकी में गोल्ड मेडल, पीआर श्रीजेश ने खोला राज

भारतीय टीम को पूर्व गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने अपने एक बयान में बड़ी बात कही है। उन्होंने बताया है कि ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए टीम को किस प्लान के साथ जाना चाहिए।

Written By: Rishikesh Singh
Updated on: August 16, 2024 6:15 IST
Indian Hockey Team- India TV Hindi
Image Source : GETTY भारतीय हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर पीआर श्रीजेश

भारतीय हॉकी टीम ने इस बार ओलंपिक में कमाल का प्रदर्शन किया और लगातार दूसरी बार ब्रॉन्ज मेडल का खिताब अपने नाम किया। हॉकी में भारत के लिए यह 13वां मेडल था। पिछले ओलंपिक यानी कि टोक्यो में भी भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इस बार फैंस को उम्मीद थी कि हॉकी टीम मेडल का रंग बदलेगी। टीम से इस बार गोल्ड की आस लगाई जा रही थी, लेकिन एक बार फिर से उन्हें ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा। टीम इंडिया इस बार ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत सकती थी, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके। इसके पीछे के राज के बारे में पीआर श्रीजेश ने एक बड़ा खुलासा किया और बताया है कि टीम गोल्ड मेडल कैसे अपने नाम कर सकती थी।

श्रीजेश ने दिया बड़ा बयान

भारतीय हॉकी टीम में अगर कोई एक बदलाव पी आर श्रीजेश देखना चाहते हैं तो वह गोल के लिए पेनल्टी कॉर्नर पर निर्भरता कम करना होगा और उनका मानना है कि हर बार ओलंपिक पदक जीतने के लिए टीम को अधिक फील्ड गोल करने होंगे। भारत ने पेरिस ओलंपिक में 15 गोल किए और 12 गंवाए। इन 15 गोल में से नौ पेनल्टी कॉर्नर पर, तीन पेनल्टी स्ट्रोक पर और सिर्फ तीन फील्ड गोल थे। पेरिस ओलंपिक के बाद हॉकी को अलविदा कहने वाले इस महान गोलकीपर ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि ज्यादातर समय जब फॉरवर्ड सर्कल में जाते हैं तो उनका मकसद पेनल्टी कॉर्नर बनाना होता है क्योंकि हमारा पेनल्टी कॉर्नर अच्छा है। मैं यह नहीं कहता कि फॉरवर्ड गोल करने की कोशिश नहीं करते। 

भारत की रणनीति काफी अलग

ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले नीदरलैंड ने 14 और रजत पदक विजेता जर्मनी ने 15 फील्ड गोल किए जबकि चौथे स्थान पर रहे स्पेन ने दस फील्ड गोल दागे। इनके मुकाबले भारत ने पेनल्टी कॉर्नर पर ज्यादा भरोसा किया। श्रीजेश ने आगे कहा कि अगर उनके पास पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करने का सुनहरा मौका है तो उसे गंवाना नहीं चाहिए, लेकिन भारतीय हॉकी टीम को अगर अगले स्तर पर ले जाना है और लगातार ओलंपिक पदक जीतने हैं तो फील्ड गोल अधिक करने होंगे क्योंकि डिफेंस की भी सीमाएं होती हैं। उन्होंने आगे बताया कि उन्हें कहना नहीं चाहिए लेकिन हम जर्मनी नहीं हैं कि 60 मिनट तक एक गोल बचा सके। उनकी रणनीति और शैली हमसे अलग है। हमने गलतियां की और कुछ गोल गंवाए लेकिन हमारे फॉरवर्ड को अधिक गोल करने होंगे ताकि डिफेंस पर बोझ कम हो।

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