Highlights
- विश्व एथलेटिक्स अध्यक्ष ने कहा कि भारत को नीरज चोपड़ा के एतिहासिक स्वर्ण पदक से मिले मौके का फायदा उठाना चाहिए।
- टोक्यो ओलंपिक में 87.58 मीटर के प्रयास के साथ नीरज ने स्वर्ण पदक जीता था।
नई दिल्ली। विश्व एथलेटिक्स के अध्यक्ष सबेस्टियन को ने बुधवार को कहा कि भारत को टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा के एतिहासिक स्वर्ण पदक से मिले मौके का फायदा उठाना चाहिए तथा और अधिक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट का आयोजन करके देश में एथलेटिक्स के दायरे को बढ़ाना चाहिए। एथलेटिक्स में भारत के पहले स्वर्ण पदक को ‘बेहद महत्वपूर्ण लम्हा’ करार देते हुए को ने सलाह दी कि इसका इस्तेमाल देश में खेल के विस्तार के लिए किया जाए।
को ने एशियाई की चुनिंदा मीडिया के साथ आनलाइन बातचीत के दौरान कहा, ‘‘चोपड़ा (भारतीय एथलेटिक्स में) काफी अहम हैं। खिलाड़ी का एकमात्र प्रदर्शन उतनी शक्तिशाली नहीं होगा अगर आपके पास मजबूत महासंघ नहीं है तो। और आपके पास ऐसा है।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘यह मौका है कि इस प्रदर्शन का इस्तेमाल एथलेटिक्स के दायरे को बढ़ाने के लिए किया जाए। अधिक एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं के आयोजन के संदर्भ में कहूं तो भारत ऐसा करने के लिए आगे आना चाहता है। मुझे भारत सरकार की मौजूदा सोच के बारे में नहीं पता लेकिन मुझे सचमुच में लगता है कि एक दिन भारत ओलंपिक की मेजबानी करेगा।’’
ओलंपिक की 1500 मीटर स्पर्धा में दो बार (1980 और 1984) के स्वर्ण पदक विजेता को ने साथ ही कहा कि चोपड़ा के स्वर्ण पदक असर भारत से आगे भी होगा और इसका प्रभाव दुनिया के कई देशों में दिखेगा।
उन्होंने कहा,‘‘उसने जिस तरह सबसे बड़े वैश्विक मंच पर यह कारनामा किया, इसका भारत और एशिया में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में असर होगा।’’
को ने कहा, ‘‘मुझे अच्छी तरह पता है कि दुनिया भर में शहरी जनसंख्या के बीच भारतीय समुदाय की मौजूदगी है। इसलिए इसका विस्तृत असर होगा और अमेरिक, ब्रिटेन और यूरोप तथा अफ्रीका के बड़े हिस्सों में समुदायों को जोड़ने में मदद मिलेगी जो हमारे खेल का हिस्सा बनना चाहते हैं।’’
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भाला फेंक के खिलाड़ी चोपड़ा सात अगस्त को टोक्यो में 87.58 मीटर के प्रयास के साथ एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। वह निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के बाद ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने दूसरे भारतीय हैं। मीडिया के साथ वर्षांत बातचीत के दौरान को ने कहा कि एथलेटिक्स नंबर एक ओलंपिक खेल के रूप में उभरा है और टोक्यो ओलंपिक के दौरान यह तथ्य फिर साबित हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास आमूलचूल बदलाव वाला कैलेंडर है, साल दर साल महाद्वीपीय टूर्नामेंटों के स्तर में इजाफा हो रहा है तथा कई और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन हो रहा है।’’
को ने कहा कि तोक्यो खेलों ने कोविड-19 के कारण पैदा हुए अवसाद से बाहर निकलने में मदद की और रोशनी की किरण दिखाई। वर्ष 2030 तक के खाके के संदर्भ में को ने खेल के आधार को बढ़ाने तथा लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए बच्चों के एथलेटिक्स कार्यक्रम का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि सरकार और एनजीओ के साथ अधिक साझेदारियां वैश्विक योजना का अहम हिस्सा हैं।