इंटरकांटिनेंटल कप अपने अंतिन चरण में है। भारत और लेबनान के बीच इंटरकांटिनेंटल कप का फाइनल मुकाबला रविवार को खेला जाएगा। इस मैच में टीम इंडिया के पास साल 2018 की सफलता को दोहराने की चुनौती होगी। दोनों टीमों के बीच खेला जाने वाला यह मुकाबला इसलिए भी बेहद खा, है क्योंकि दोनों टीमों के कोच ने साल 1994 में स्पेन के क्लब सिडिज सीएफ के लिए एक साथ खेला था। दोनों ही कोच एक दूसरे को काफी ज्यादा सम्मान करते हैं। लेकिन भारतीय कोच स्टिमक चाहेंगे कि फाइनल में उनकी टीम लेबनान के खिलाफ राउंड रोबिन मैच के दौरान की गई गलतियों को ना दोहराए।
भारत के पास इतिहास बनाने का मौका
भारत ने 2018 में इस टूर्नामेंट के फाइनल में कीनिया को 2-0 से हराकर खिताब जीता था लेकिन 2019 में इसके अगले सत्र में टीम चौथे और अंतिम स्थान पर रही थी। मंगोलिया के खिलाफ भारतीय टीम ने 2-0 से जीत दर्ज करने के बाद वानुआतु को छेत्री के गोल के दम पर 1-0 ये हराया था। कोच ने लेबनान के खिलाफ मैच में 10 बदलाव किए, जिसमें गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू और छेत्री को शुरुआती एकादश में जगह नहीं मिली। डिफेंडर संदेश झिंगन ने लेबनान के खिलाफ छेत्री की अनुपस्थिति में कप्तानी का दारोमदार संभाला।
मैच से पहले क्या बोले टीम के कोच
फाइनल मैच की पहले टीम के कोच स्टिमक ने कहा कि ‘‘पिछले मैच में हम गोल नहीं कर सके थे लेकिन मुझे नहीं लगता कि हमने कुछ गलत किया है। मुझे नहीं लगता कि हमें चीजों को बदलने की जरूरत है। हमें अधिक गति और ऊर्जा वाले खिलाड़ियों की आवश्यकता है, जो लेबनान द्वारा खेले जाने वाले शारीरिक खेल का जवाब देने के लिए तैयार हैं।’’
फ्रांस में 1998 में खेले गए विश्व कप में तीसरे स्थान पर रही क्रोएशियाई टीम के सदस्य रहे स्टिमक ने कहा कि ‘‘हमने खिलाड़ियों को एक ही संदेश दिया है कि शांत और एकाग्र रहें। अपनी नजर गेंद पर रखें और सुनिश्चित करें कि मौकों को गोल में बदला जाए।’’ उन्होंने कहा कि टीम के लिए एकमात्र चिंता की बात इशान पंडिता का चोटिल होना है। पंडिता को वानुआतु के खिलाफ मैच में जांघ पर चोट लग गई थी। दोनों टीमों के बीच यह फाइनल मैच शाम 07:30 बजे से खेला जाएगा।