एशियाई खेलों में दो रजत पदक जीतने वाली महिला एथलीट दुती चंद नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी, NADA द्वारा उन पर लगाए गए चार साल के प्रतिबंध को चुनौती देंगी। आपको बता दें कि वह नाडा की टूर्नामेंट के इतर प्रतिबंधित पदार्थ की डोप जांच में विफल रही थीं। 27 साल की दुती पर गुरुवार को प्रतिबंध लगाया गया था। 100 मीटर की नेशनल रिकॉर्ड होल्डर एथलीट के पिछले साल दिसंबर में लिए गए दो सैम्पल में ‘अन्य एनाबोलिक एजेंट/एसएआरएमएस’ मौजूद थे जो वाडा की 2023 प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में शामिल हैं। ये सैम्पल पांच और 26 दिसंबर को लिए गए थे और दोनों ही एक समान पदार्थ के पॉजिटिव पाए गए थे।
कौन से प्रतिबंधित पदार्थ का किया था सेवन?
‘एसएआरएमएस’ (सलेक्टिव एंड्रोजन रिसेप्टर मोड्यूलेटर) ऐसे ‘नॉन स्टेराइड’ पदार्थ हैं जिन्हें आमतौर पर आस्टियोपोरोसिस (हड्डी संबंधित बीमारी), अनीमिया (खून की कमी) और मरीजों में जख्मों से उबरने के लिए किया जाता है। दुती पर लगा प्रतिबंध इस साल तीन जनवरी से प्रभावी होगा और पांच दिसंबर 2022 को लिए गए पहले सैम्पल की इस तारीख से उनके सभी प्रतियोगिताओं के नतीजे हटा दिए जाएंगे। दुती के वकील पार्थ गोस्वामी ने शुक्रवार को पीटीआई से कहा कि यह खिलाड़ी अपने पूरे पेशेवर करियर में ‘क्लीन एथलीट’ (किसी भी डोपिंग से दूर) रही है और यह मामला इस पदार्थ के ‘अनजाने में सेवन’ करने का था।
दुती और उनके वकील ने दीं यह दलीलें
दुती ने 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में 100 मीटर और 200 मीटर स्पर्धा में रजत पदक जीते थे और उनके नाम 2021 से 100 मीटर में 11.17 सेकेंड का राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है। वकील गोस्वामी ने आगे कहा, हमारे लिए यह मामला स्पष्ट तौर पर अनजाने में प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन का है। हम इस पदार्थ का स्रोत भी स्पष्ट रूप से जान पाए जो पूरी तरह से उनके इरादे का ठोस सबूत है। इस पदार्थ का इस्तेमाल कभी भी खेल में फायदा उठाने के लिए नहीं किया गया था। हम अपील दायर करने की प्रक्रिया में हैं। हमें उम्मीद है कि हम अपीलीय पैनल को यह बात समझाने में सफल रहेंगे। दुती भारत का गौरव हैं और वह पूरी तरह से ‘क्लीन एथलीट’ हैं। एक दशक के चमकदार करियर के दौरान दुती अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई डोप जांच से गुजर चुकी हैं और इतने लंबे करियर में वह कभी भी डोप के मामले में पॉजिटिव नहीं आयीं।
वहीं दुती और उनके वकील ने नाडा के एंटी डोपिंग डिस्पलीनरी पैनल, ADDP के सामने भी दावा पेश किया था कि यह अनजाने में सेवन का मामला था। एडीडीपी के आदेश के अनुसार, एथलीट और उनके वकील ने एनडीटीएल (राष्ट्रीय डोप जांच प्रयोगशाला) के जांच के नतीजे की रिपोर्ट से इनकार किए बिना कहा कि उन्होंने यह पदार्थ अनजाने में लिया था जो उनके फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह पर लिया गया था जिनसे यह एथलीट नियमित रूप से परामर्श लेती हैं। इसमें कहा गया, एथलीट और उनके वकील ने प्रस्तुत किया कि यह फिजियोथेरेपिस्ट पुलेला गोपीचंद अकादमी का था जहां यह खिलाड़ी विशेष अनुमति के अंतर्गत ट्रेनिंग ले रही थीं। दुती के वकील ने यह भी प्रस्तुत किया कि यह खिलाड़ी ‘हाइपरएंड्रोजनिक’ से पीड़ित थी जिसके कारण उनके ‘पेट में काफी तेज दर्द’ था जिसके लिए ही यह उपचार किया गया था।
गवाह के बयान और सबूतों के तक्ष्य से दुती मुश्किल में
वहीं इस पूरे मामले पर एडीडीपी ने कहा कि एथलीट ने दवाई खरीदने के लिए अपने दोस्त की मदद ली जो इस मामले में गवाह भी हैं। एडीडीपी के आदेश में कहा गया, गवाह ने बयान देने से पहले वो हलफनामा भी प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने बताया है कि वह खुद दुकान पर ‘हार्मोन असंतुलन’ के इस सप्लीमेंट को लेने गए थे लेकिन इसके विपरीत गवाह से पूछताछ में उसने खुद इस सप्लीमेंट को खरीदने की बात से इनकार किया लेकिन यह काम अपने मैनेजर को दे देने की बात कही। इसके अनुसार, एडीडीपी के सुपुर्द किए गए दस्तावेज में दिए गए तथ्य और गवाह से पूछताछ में स्पष्ट विरोधाभास दिखता है इसलिए गवाह द्वारा दिये गए बयानों की विश्वसनीयता में वैध चिंताएं उठ रही हैं।