Friday, November 22, 2024
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हॉकी में भारत का था दबदबा, वो दौर जिसमें जीते थे 8 गोल्ड

भारत ने एक दौर में हॉकी जैसे खेल में राज किया था। फैंस को उम्मीद है कि जल्द भारत उस शान को वापस हासिल कर लेगा।

Edited By: Rishikesh Singh
Updated on: January 10, 2023 11:28 IST
Indian Hockey Team- India TV Hindi
Image Source : HOCKEY INDIA भारतीय हॉकी टीम

हॉकी वर्ल्ड कप इस साल भारत में खेला जाएगा। 13 जनवरी से शुरू होने वाले वर्ल्ड कप के लिए सभी टीम ओडिशा पहुंच चुकी है। भारत ने 47 साल से वर्ल्ड कप ने नहीं जीता है। होम ग्राउंड पर हो रहे वर्ल्ड कप में भारत के पास इसे जीतने का अच्छा मौका है। भारतीय टीम ने पिछले कुछ सालों में हॉकी में कमाल की वापसी की है। हालांकि एक समय ऐसा था जब भारत हॉकी के खेल में राज किया था। टीम इंडिया अपने खोए हुए गौरव को दोबार हासिल करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है। भारत में शुरू होने वाले हॉकी वर्ल्ड कप से पहले एक नजर डालें उस दौर पर जब भारत ने लगभग 50 सालों तक इस खेल पर राज किया था। 

जब भारत के नाम हुए 8 गोल्ड

2021 में, भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक हासिल करके 41 साल के सूखे को समाप्त करने में कामयाबी हासिल की। रिकॉर्ड के लिए, भारत की हॉकी टीम ओलंपिक में सबसे सफल टीम है, जिसने कुल आठ स्वर्ण पदक (1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 में) जीते हैं। अब मेन इन ब्लू के सामने एक और 47 साल के लंबे सूखे को समाप्त करने की बड़ी चुनौती है। 1975 में पुरुषों के वर्ल्ड कप में अपना पहला स्वर्ण जीतने के बाद से, भारत एक बार भी सेमीफाइनल में जगह नहीं बनाई है, भले ही कुआलालंपुर में उस जीत के पांच साल बाद, उन्होंने 1980 के खेलों में मास्को ओलंपिक खेलों में अपना आखिरी स्वर्ण पदक जीता था।

हम आपको उस युग के बारे में बताएंगे, जब भारतीय हॉकी ने दुनिया पर शासन किया था। शुरूआत होती है 1928 ओलंपिक से जब भारत ने पहला गोल्ड जीत पूरी दुनिया को चौका दिया था। इसके बाद से टीम इंडिया रुकी ही नहीं और एक के बाद एक 8 गोल्ड जीत डाले। इसी बीच 1971 का हॉकी वर्ल्ड कप इस आयोजन का पहला सीजन था, जिसे पाकिस्तान ने उनके द्वारा आयोजित करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, पाकिस्तान में राजनीतिक संकट के कारण इस कार्यक्रम को स्पेन के बार्सिलोना में स्थानांतरित कर दिया गया था। भारतीय टीम इस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में चिरप्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से हार गई थी, उन्होंने 1971 के वर्ल्ड कप में केन्या पर जीत के आधार पर कांस्य पदक अपने नाम किया था। यह हरमिक सिंह, अशोक कुमार, चार्ल्स कॉर्नेलियस और अजीतपाल सिंह जैसे खिलाड़ियों से सजी एक मजबूत टीम थी, जिन्हें मेक्सिको में 1968 के ओलंपिक का हिस्सा होने के नाते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का काफी अनुभव था, जहां उन्होंने कांस्य जीता था।

कैसे खत्म हुआ वो दौर

मॉन्ट्रियल में 1976 के ओलंपिक में, एक एस्ट्रोटर्फ हॉकी पिच पेश की गई थी, भारत ने घास के मैदान पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए संघर्ष किया और पहली बार खाली हाथ घर लौटा। यहां से उस दौर की शुरुआत हुई जहां भारत का हॉकी में वर्चस्व धीरे-धीरे खत्म होने लगा। हालांकि 1980 का ओलंपिक जो मास्को में आयोजित किया गया था उसमें भारत ने शानदार वापसी की। भारत ने अपने अभियान की शुरूआत तंजानिया पर 18-0 की जीत के साथ की। उसके बाद पोलैंड और स्पेन के साथ 2-2 से ड्रा खेला। इसके बाद क्यूबा पर 13-0 के अंतर से शानदार जीत दर्ज की और सोवियत संघ पर 4-2 के स्कोर से एक जीत दर्ज की। भारत ने फाइनल में स्पेन को 4-3 के स्कोर से हराकर रिकॉर्ड आठवीं बार स्वर्ण पदक जीता था।

शान वापस लौटने की उम्मीद

इसके बाद से भारत ने ओलंपिक में एक भी गोल्ड नहीं जीता है। फैंस अब भारत को अपना जादू दिखाने और खोई हुई शान वापस लाने का इंतजार कर रहे हैं, जिसे वास्तव में 2021 में फिर से शुरू किया गया है। उन्हें गति बनाए रखने के साथ पदक जीतने और सूखे को खत्म करने की जरूरत है।

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