भुवनेश्वर और राउरकेला में 13-29 जनवरी तक हॉकी के महाकुंभ का आयोजन होगा। ओडिशा में खेले जाने वाले 15वें FIH मेन्स हॉकी विश्व कप 2023 के लिए सितारों से सजी कई टीमें प्रदेश में पहुंचने लगी हैं। पहली बार मेन्स हॉकी विश्व कप की मेजबानी किसी देश द्वारा लगातार दो बार की जाएगी। 2018 संस्करण की मेजबानी भी भारत ने की थी और इसका आयोजन भुवनेश्वर में हुआ था। उस टूर्नामेंट में बेल्जियम ने नीदरलैंड को हराकर अपना पहला खिताब जीता था। वहीं भारत को 1975 के बाद से अपने दूसरे खिताब का इंतजार है। भारतीय टीम के इस इंतजार को खत्म करने के लिए कुछ खिलाड़ियों पर सभी की नजरें होंगी।
इस मेगा ईवेंट के लिए दुनिया भर की 16 सर्वश्रेष्ठ टीमें अपनी कमर कस चुकी हैं। ऐसे में मेजबान भारत को टोक्यो ओलंपिक, बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स का प्रदर्शन जारी रखते हुए और उसमें अधूरी रही गोल्ड मेडल की कसक को यहां विश्व कप ट्रॉफी जीतकर पूरा करने की उम्मीद होगी। भारतीय हॉकी टीम ही नहीं बल्कि पूरे देश की इस उम्मीद को पूरा करने के लिए कुछ खिलाड़ियों पर सभी की नजरें होंगी। जिनके नाम इस प्रकार हैं:-
पीआर श्रीजेश
अनुभवी भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने भारत के प्रदर्शन में सालों से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्हें 2022 में FIH गोलकीपर ऑफ द ईयर भी चुना गया था। उन्होंने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपरों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है। पेनल्टी शूट-आउट जैसे परिस्थितियों के लिए उनको स्पेशलिस्ट माना जाता है। टोक्यो ओलंपिक के दौरान श्रीजेश ने जर्मनी के खिलाफ कांस्य पदक मैच में आखिरी कुछ सेकंड में पेनल्टी कॉर्नर बचाकर भारत के ओलंपिक पदक के चार दशक के सूखे को खत्म किया था। 240 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैचों का अनुभव रखने वाले श्रीजेश का यह आखिरी विश्व कप होगा और पूरा देश उनसे इस सफर को खिताब के साथ खत्म करने की उम्मीद कर रहा है।
हरमनप्रीत सिंह
भारतीय हॉकी टीम के स्टार ड्रैग-फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह को पिछले कुछ सालों में भारतीय हॉकी की बदलती हुई तस्वीर का अहम सूत्रधार माना जाता है। उन्हें पेनल्टी कार्नर विशेषज्ञ के रूप में देखा जाता है। उनके शक्तिशाली फ्लिक के साथ-साथ उनके विश्व स्तरीय डिफेंस ने भी उन्हें पहचान दिलाई है। हरमनप्रीत ने टोक्यो ओलंपिक में भारत की ऐतिहासिक कांस्य पदक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह टोक्यो में छह गोल के साथ देश के शीर्ष स्कोरर के रूप में उभरे थे। वो हरमनप्रीत ही थे जिन्होंने कांस्य पदक मैच में जर्मनी के साथ भारत का स्कोर बराबर किया था।
आकाशदीप सिंह
2012 में अपना सफर शुरू करने के बाद से आकाशदीप सिंह लगातार भारत की गोल स्कोरिंग मशीन रहे हैं। श्रीजेश और हरमनप्रीत के अलावा, वह 200 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं। उनके नाम 80 से अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल भी दर्ज हैं। वह भारतीय लाइनअप में सबसे अनुभवी फॉरवर्ड खिलाड़ी हैं और भारतीय फॉरवर्ड लाइन उनके ऊपर ही निर्भर करेगी। 2014 हेग हॉकी विश्व कप में आकाशदीप 5 गोल के साथ भारत के टॉप स्कोरर थे। खराब फॉर्म के कारण टोक्यो ओलंपिक में वह नहीं दिखे लेकिन 2022 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में आकाशदीप ने शुरूआती मैच में भारत की 5-4 से हार में हैट्रिक बनाई और तीसरे मैच में विजयी गोल किया जिससे भारत को दुनिया की नंबर 1 टीम के खिलाफ 12 मैचों की लगातार हार का सिलसिला तोड़ने में मदद मिली।
विवेक सागर प्रसाद
विवेक सागर प्रसाद भारतीय हॉकी टीम के लिए अलग-अलग भूमिकाओं में काफी महत्वपूर्ण खिलाड़ी रहे हैं। मिडफील्डर विवेक टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे और उन्होंने मलेशिया में सुल्तान ऑफ जोहोर कप के सातवें संस्करण में अंडर-21 टीम को तीसरे स्थान पर पहुंचाया था। पैर की चोट के कारण हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के दौरे और एफआईएच हॉकी प्रो लीग से बाहर रहने के बाद टीम में वापसी करते हुए यह खिलाड़ी वर्ल्ड कप के लिए तैयार है। विवेक अपने डिफेंस-स्प्लिटिंग पास के साथ विपक्षी टीम के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।
मनप्रीत सिंह
भारतीय हॉकी की पिछले कुछ सालों में बदलती तस्वीर का सबसे बड़ा श्रेय जाता है टीम के पूर्व कप्तान मनप्रीत सिंह को। उनकी अगुआई में टीम ने चार दशक के ओलंपिक पदक के इंतजार को खत्म किया। उनकी कप्तानी में टीम ने कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीता। उनकी कप्तानी में टीम ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कंगारू टीम को लगातार 12 हार के बाद हराया। उनके नेतृत्व कौशल के साथ उनका खेल भी भारतीय हॉकी टीम के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ है। आगामी विश्व कप में जो चार नाम आपने ऊपर देखे उनके साथ यह पांचवां नाम होना सबसे अहम कड़ी है। यह पांच खिलाड़ी भारत में धूमिल हुई हॉकी की तस्वीर को बदल सकते हैं।