भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल का मानना है कि टोक्यो ओलंपिक में उनके यादगार खेल ने खिलाड़ियों को अत्यधिक दबाव में बेहतर प्रदर्शन करना सिखाया है। पॉडकास्ट 'हॉकी ते चर्चा' पर 27 साल की इस खिलाड़ी ने टोक्यो ओलंपिक में टीम के रिकॉर्ड चौथे स्थान पर रहने के साथ-साथ बीते साल की उपलब्धियों को याद किया।
रानी ने कहा, "साल 2021 हमारे लिए अच्छा साल साबित हुआ। हम टोक्यो ओलंपिक खेलों में पदक जीत सकते थे। हमें ऐसा नहीं कर पाने का हमेशा मलाल रहेगा क्योंकि हम खिताब के काफी करीब थे। पहली बार में इसे स्वीकार करना मुश्किल था।"
कप्तान ने कहा, "हम 2016 में रियो ओलंपिक में 12 वें स्थान पर थे और इस बार टोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहे। इसलिए, यह महिला हॉकी के लिए एक बड़ी छलांग है।"
भारतीय महिला टीम टोक्यो में ऐतिहासिक कांस्य पदक से चूक गई थी, लेकिन टीम ने ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया। उन्होंने कहा, "जब हम टोक्यो से लौटे तो भारतीय प्रशंसकों ने हमारे प्रयासों की सराहना की। हमें लगा कि हमने कुछ अच्छा किया है तभी प्रशंसक हमें इतना प्यार और सम्मान दे रहे हैं। इससे हमें भविष्य में और बेहतर करने का विश्वास मिला।"
रानी ने बताया कि कैसे टीम ने क्वॉर्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया पर 1-0 की जीत से आत्मविश्वास हासिल किया और महसूस किया कि वे सेमीफाइनल में विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर काबिज अर्जेंटीना को हराकर पोडियम पर अपने अभियान को खत्म कर सकती है।
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि 100 प्रतिशत हम अर्जेंटीना के खिलाफ सेमीफाइनल मैच जीत सकते थे। हमने मैच में शुरुआती बढ़त बना ली और उन पर दबाव बना दिया था। हमने कोच द्वारा बताई गई हर बात पर अमल किया लेकिन उन्हें पेनल्टी कॉर्नर हासिल करने का मौका देना हमें महंगा पड़ा।"
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उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि टीम के सभी खिलाड़ियों के लिए यह सीखने और अनुभव हासिल करने का का बड़ा मौका था इस अनुभव से खिलाड़ी बड़े टूर्नामेंटों के नॉकआउट मैचों में संयमित रहेंगे। हम अगली बार निश्चित रूप से बेहतर प्रदर्शन करेंगे।"