FIFA World Cup: फुटबॉल के महासंग्राम यानी फीफा वर्ल्ड कप के 22वें संस्करण की शुरुआत 20 नवंबर से कतर में होने जा रही है। दुनियाभर की 32 टीमें इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही हैं लेकिन भारत में इस मेगा ईवेंट का क्रेज बहुत ज्यादा नहीं है। उसका एक कारण यह भी है कि हमारे देश की टीम ही इसका हिस्सा नहीं है। गौरतलब है कि भारतीय फुटबॉल टीम की गिनती दुनिया की टॉप टीमों में नहीं होती है और यही कारण है कि हम फीफा वर्ल्ड कप को तिरंगा लहराकर एनजॉय नहीं कर पाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि एक बार भारत को फीफा वर्ल्ड कप का टिकट मिल चुका है?
जी हां, सही सुना आपने भारत को फीफा वर्ल्ड कप का टिकट मिल चुका है लेकिन उस समय के मैनेजमेंट की कुछ गलतियों या फिर कहें समय की विवशता रही होगी कि टीम हिस्सा नहीं ले पाई। कह सकते हैं कि उसका खामियाजा हम आज भी भुगत रहे हैं और आज तक हम फीफा वर्ल्ड कप के एक भी संस्करण में नहीं खेल पाए हैं। अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिरी ऐसा कब हुआ? बताते हैं पूरी कहानी विस्तार से कि कब भारत को फीफा वर्ल्ड कप खेलने का मौका मिला था और टीम किन कारणों के चलते शायद नहीं जा पाई।
वो बात है 1950 की...
वो बात है 1950 के फीफा वर्ल्ड कप की जिसका आयोजन ब्राजील में हुआ था। यह वर्ल्ड कप 12 साल के इंतजार के बाद हो रहा था, क्योंकि 1942 और 1946 में द्वितीय विश्व युद्ध के चलते इसका आयोजन नहीं हो पाया था। इस टूर्नामेंट के लिए पहले क्वालीफाइंग राउंड का आयोजन हुआ जिसमें 33 टीमों ने अपना नाम दिया। इस राउंड के ग्रुप 10 में भारत को बर्मा (म्यांमार) और फिलीपींस के साथ जगह मिली, लेकिन इन दोनों ही देशों ने क्वालिफाईंग राउंड शुरू होने से पहले ही अपना नाम वापस ले लिया। यानी भारत की हुई बल्ले-बल्ले और मिल गई उसे 1950 फीफा वर्ल्ड कप की टिकट।
मौका शानदार था...
भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी और उस वक्त के कुछ गिने-चुने फुटबॉल फैंस काफी खुश थे। टीम इंडिया फीफा वर्ल्ड कप खेलने जा रही थी स्क्वॉड का ऐलान हो गया और 15 जून को टीम को ब्राजील रवाना होना था। मेन राउंड के पूल-3 में भारत को पराग्वे, इटली और स्वीडेन के साथ जगह मिली थी। 25 जून को टीम का पहला मैच भी पराग्वे से होना था। मौका शानदार था क्योंकि उस वक्त पराग्वे की टीम बहुत अच्छी नहीं थी, इटली अपने मेन खिलाड़ियों के बिना आई थी और 1948 ओलंपिक में मजबूत फ्रांस को 1-2 से टक्कर देकर हारने वाली भारतीय टीम भी अच्छा खेल खेलने के लिए जानी जाती थी। एकमात्र स्वीडेन की टीम भारत से अच्छी दिख रही थी यानी भारत दूसरे स्थान पर समाप्त कर सकता था। लेकिन इस शानदार मौके को भुनाने का टीम को मौका ही नहीं मिला।
ऐसा क्या हो गया?
अचानक टीम ब्राजील रवाना नहीं हुई और हर तरफ चर्चा शुरू हो गई कि आखिर क्यों टीम ने फीफा वर्ल्ड कप खेलने का सुनहरा मौका गंवा दिया? हर कहीं यही सवाल था, हर तरफ यही चर्चा थी। कई अटकलें लग रही थीं लेकिन आज तक कहीं भी इसका प्रमुख कारण नहीं सामने आ पाया। कई फुटबॉल एक्सपर्ट्स की किताबों में भी कई कारण बताए गए लेकिन कोई सटीक वजह कभी नहीं सामने आ पाई। कहा यह भी जाता है कि उस वक्त फुटबॉल का वो ग्लैमर नहीं था जैसा आज है। हॉकी को उस वक्त ज्यादा तवज्जो मिलती थी। लेकिन भविष्य की तब किसी ने नहीं सोची और उसका खामियाजा आज भी भारत कभी भी फीफा वर्ल्ड कप नहीं खेलने वाला देश बनकर भुगत रहा है।
वैसे तो कई स्पष्ट कारण कभी भी सामने नहीं आ पाया लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबकि कुछ वजह समय-समय पर सामने आती रहीं:-
- नंगे पांव खेलना- उस वक्त भारतीय टीम के पास कुछ ऐसे शानदार खिलाड़ी थे जिनके नाम आज भी फुटबॉल प्रेमी शायद जानते हों। अहमद खान, एस रमन, ताज मोहम्मद सरीखे खिलाड़ी थे वो। ज्यादातर खिलाड़ी उस टीम के नंगे पांव खेलते नजर आते थे लेकिन फीफा के नियमों में ऐसा नहीं था। हालांकि, बाद में कुछ रिपोर्ट ऐसी भी आईं जिसमें खिलाड़ियों ने बताया कि उनकी किट में स्पाइक शूज थे लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ जो टीम रवाना नहीं हुई?
- आर्थिक कारण- इसका दूसरा कारण आर्थिक स्थिति का भी आया। यह कहा गया कुछ रिपोर्ट में कि आर्थिक तंगी के कारण भारतीय फुटबॉल टीम ब्राजील नहीं गई। लेकिन इसके विपरीत भी कुछ ऐसी रिपोर्ट सामने आईं जिसमें पता चला कि राज्यस्तरीय फुटबॉल संघों ने तो मदद का दावा किया ही था साथ ही ब्राजील के फेडरेशन ने भी मदद का हाथ बढ़ाते हुए खर्चा माफ करने और चुकाने की बात कही थी। ब्राजील के भारत से संबंध अच्छे थे और वह चाहते थे की इंडियन टीम उनके देश आकर खेले। लेकिन फिर भी ऐसा क्या रहा कि टीम नहीं गई?
- ओलंपिक पर ध्यान- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कहा यह भी जाता है कि उस वक्त भारतीय हॉकी टीम अपने गोल्डन पीरियड में थी। हर किसी का ध्यान हॉकी पर था। साथ ही ओलंपिक खेलों में प्रदर्शन ही सफलता का मानक बन गया था। कहा यह भी जाता था कि, अगर फीफा वर्ल्ड कप खेला तो खिलाड़ी प्रोफेशनल हो सकते हैं जिसके कारण वो ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। लेकिन इसे काटने के लिए भी एक नियम था कि खिलाड़ियों को सेना का बताया जाए और इस कारण उन्हें प्रोफेशनल नहीं घोषित किया जा सकता। शायद उस वक्त के मैनेजमेंट को इन नियमों की सही से जानकारी नहीं रही और यह भी एक बड़ा कारण ब्राजील नहीं जाने का बनकर उमड़ा।
- 1951 एशियाई खेलों को तवज्जो- साथ ही भारत में उस वक्त ओलंपिक के साथ-साथ एशियाई खेल भी काफी तवज्जो रखते थे। भारतीय फुटबॉल टीम को हॉकी टीम के नजरिए से देखा जाने लगा था। हॉकी टीम जैसे जादू बिखे रही थी वैसा ही फुटबॉल से भी उम्मीद थीं। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया आज तक भी। 1951 में एशियाई खेल होने थे उन पर ध्यान देने के लिए टीम को ब्राजील नहीं भेजना भी इसके पीछे का एक कारण बनकर उमड़ा।
कारण, वजह, अटकलें....
कई सारे अनुमान ही लगाए जा सकते हैं लेकिन आज तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आखिर क्यों तब भारतीय फुटबॉल टीम को ब्राजील नहीं भेजा गया था। भारत आज दुनियाभर के कई प्रतिष्ठित खेलों में अपनी ढाक जमा चुका है। लेकिन फुटबॉल की दुनिया में हम अभी भी काफी पीछे हैं। शायद 72 साल पहले अगर हुई इस गलती को देखा जाए तो अगर ऐसा ना हुआ होता तो वहां से भारतीय फुटबॉल की तस्वीर बदल सकती थी। यही कारण है कि आज भी जब चार साल बाद फीफा वर्ल्ड कप का आयोजन होता है तो भारत में इसकी धूम नहीं होती है।