भारत की युवा शूटर ईशा सिंह आगामी पेरिस ओलंपिक के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रही हैं। ओलंपिक 2024 के लिए वह 21 सदस्यीय भारतीय निशानेबाजी टीम का हिस्सा हैं। हैदराबाद की 19 वर्षीय ईशा के लिए यह पहला ओलंपिक होने जा रहा है। वह अभी निशानेबाजी में काफी युवा खिलाड़ियों में से एक हैं, लेकिन फिर भी उनके पास कई मेडल हैं। वह 25 मीटर एयर पिस्टल में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप 2022 में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं, उन्होंने हाल ही में हांग्जो में खेले गए एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था और टीम इवेंट में भी उनके नाम गोल्ड मेडल हैं।
सूटिंग को कैसे बनाया करियर
ईशा अब पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए तैयारियों में जुटी हैं। इंडिया टीवी के स्पोर्ट्स एडिटर समीप राजगुरु के साथ खास बातचीत में इस खिलाड़ी ने इस खेल में अपने सफर और इसमें उनके लिए कौन से महत्वपूर्ण मोड़ आए, इस बारे में खुलकर बात की। इंडिया टीवी से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पिता की वजह से ही शूटिंग की जर्नी को शुरू किया। उनके पिता एक खिलाड़ी हैं, वह हमेशा चाहते थे कि वह कोई खेल चुनें क्योंकि उनका मानना था कि खेल अनुशासन सिखाते हैं। वह उन्हें हर साल कोई खेल आजमाने के लिए ले जाते थे। उनके पिता के दोस्त ने उनके पिता को शूटिंग रेंज में बुलाया। वह अपने पिता के साथ गई और उन्हें यह खेल पसंद आया।
बड़े मौकों पर जीता मेडल
ईशा ने 10 साल पहले नौ साल की उम्र में इस खेल को अपनाया था। वह कहती हैं कि उनका पहला टर्निंग पॉइंट राज्य स्तर पर उनकी पहली प्रतियोगिता थी। उन्होंने कहा कि मेरे करियर में टर्निंग पॉइंट वह पहली राज्य प्रतियोगिता थी जिसे मैंने 11 साल की उम्र में जीता था। मैंने सब-जूनियर लेवल में गोल्ड मेडल जीता। यह मेरे लिए एक प्रोत्साहन था कि मैं इस खेल में अच्छी हूं और मैंने सोचा कि मुझे इसे आजमाना चाहिए। इसके बाद ईशा ने साउथ जोन और नेशनल्स में खेलना शुरू किया और इस यात्रा ने रफ्तार पकड़ी। बहुत कम लोग जानते हैं कि ईशा ने 2018 में 62वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में ओलंपियन और यूथ ओलंपिक चैंपियन मनु भाकर को हराया था। उनका कहना है कि उनका लक्ष्य किसी को हराना नहीं है, बल्कि अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करना है।
ओलंपिक को लेकर क्या है ईशा की राय
ईशा का ओलंपिक के लिए भी यही दर्शन है कि वह सिर्फ अपने खेल पर ध्यान देना चाहती हैं, किसी और चीज पर नहीं। अपने पहले ओलंपिक से अपनी उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर ईशा ने कहा कि मैं वहां जाकर अपनी तकनीक पर अमल करना चाहती हूं। मुझे अपना खेल खेलना है। मैं इस मानसिकता के साथ वहां नहीं जाना चाहती कि मुझे किसी को हराना है। मैं सिर्फ अपना खेल खेलना चाहती हूं, अपने आप पर ध्यान देना चाहती हूं और ओलंपिक को अपने दिमाग में बहुत बड़ी चीज नहीं बनाना चाहती। बस इसे एक और प्रतियोगिता की तरह लेना है।
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