Highlights
- कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों से पदक की उम्मीद
- भारतीय बैडिमिंटन खिलाड़ियों को कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में मिलेगी मुश्किल चुनौतियां
- कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय शटलर्स का 50 साल से ज्यादा पुराना इतिहास
CWG 2022: कॉमनवेल्थ गेम्स में जिस खेल से भारत को काफी उम्मीदें होती हैं उसमें बैडमिंटन का नंबर काफी ऊपर आता है। भारतीय शटलर्स पिछले 50 सालों से ज्यादा से देश को इन खेलों में पदक जितवा रहे हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भी बैडमिंटन से अच्छी संख्या में मेडल्स के आने की उम्मीद की जा रही है।
पीवी सिंधु और लक्ष्य सेन सहित भारत के कई स्टार शटलर कॉमनवेल्थ गेम्स में इंडिविजुअल गोल्ड मेडल हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। हालांकि, इस बार भी हर बार की तरह भारतीय डबल्स प्लेयर्स खबरों में बने रहेंगे। बर्मिंघम में 28 जुलाई से शुरू हो रहे खेलों में भी भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पदक जीतने के 56 साल पुराने सिलसिले को कायम रखना चाहेगा।
कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय बैडमिंटन का इतिहास
भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स में बैडमिंटन से पहला पदक 1966 में दिनेश खन्ना ने जिताया था। किंग्सटन, जमैका में हुए खेलों में उन्हें कांस्य पदक मिला था। तब से लेकर अब तक भारत कुल 25 पदक जीत चुका है जिसमें सात स्वर्ण पदक भी शामिल हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में बैडमिंटन की मेडल टैली में भारत तीसरे स्थान पर है। इंग्लैंड आठ बार का विजेता और मलेशिया पांच बार का चैंपियन है। उन्होंने बैडमिंटन में 109 और 64 पदक जीते हैं। गोल्ड कोस्ट में खेले गए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था और दो स्वर्ण पदक सहित कुल छह पदक जीते थे।
इंडिविजुअल इवेंट्स में भारत के लिए चुनौती और मौके
इंडिविजुअल इवेंट्स में गोल्ड मेडल जीतना फिर से भारतीय खिलाड़ियों का टारगेट होगा। बैडमिंटन में इंडिविजुअल मेडल्स के लिए भारत की ओर से सबसे बड़े दावेदारों मे सिंधु के अलावा वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले किदांबी श्रीकांत और लक्ष्य सेन भी शामिल हैं। चिराग शेट्टी और सात्विकसाइराज रंकीरेड्डी ने 2018 में रजत पदक जीता था और इस बार वे अपने पदक का रंग बदलना चाहेंगे।
वुमेंस सिंगल्स में भारत के लिए चुनौती और मौके
इंडिविजुअल इवेंट्स में सिंधु अभी तक गोल्ड मेडल जीतने में नाकाम रही हैं। उन्होंने पिछले दो खेलों में ब्रॉन्ज और सिल्वर मेडल जीते थे। इस बार हालांकि वहां खिताब के प्रबल दावेदार के रूप में शुरुआत करेगी। उन्हें कनाडा की विश्व में 13वें नंबर की खिलाड़ी और 2014 की चैंपियन मिशेली ली, स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमर और सिंगापुर की इयो जिया मिन से चुनौती मिलने की संभावना है।
मेंस सिंगल्स में भारत के लिए चुनौती और मौके
मेंस सिंगल्स में भारत को थॉमस कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले लक्ष्य और श्रीकांत पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। श्रीकांत 2018 में गोल्ड मेडल से चूक गए थे। उन्हें फाइनल में ली चोंग वेई ने हराया था। श्रीकांत और सेन को वर्ल्ड चैंपियन लोह कीन इयू और मलेशिया के एनजी जे यंग से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।
मिक्स्ड टीम इवेंट में भारत के लिए चुनौती और मौके
इंडिविजुअल परफॉर्मेंस के अलावा इस बार मिक्स्ड टीम कंपिटीशन में भारत के प्रदर्शन पर भी फोकस रहेगा। गोल्ड कोस्ट में युवा भारतीय टीम ने मलेशिया की मजबूत टीम को हराकर पहली बार गोल्ड मेडल जीता था। भारत को मिक्स्ड टीम इवेंट में ग्रुप एक में ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी कमजोर टीमों के साथ रखा गया है। ऐसे में उसके लिए नॉकआउट में जगह बनाना महज औपचारिकता होगी लेकिन उसकी असली परीक्षा क्वार्टर फाइनल से शुरू होगी। मिक्स्ड टीम इवेंट में दो सिंगल्स और तीन डबल्स मैच होंगे। ऐसे में सिंधु, सेन और श्रीकांत भारत को दो महत्वपूर्ण अंक दिला सकते हैं लेकिन असली दारोमदार डबल्स प्लेयर्स पर होगा। खासकर विश्व में आठवें नंबर की जोड़ी चिराग और सात्विक को अच्छा प्रदर्शन करना होगा।
अश्विनी पोनप्पा चौथी बार कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेंगी। चिराग और सात्विक की जोड़ी के अलावा उनकी मौजूदगी में भारत मिक्स्ड डबल्स टीम इवेंट में खिताब का दावेदार होगा। पोनप्पा इस बार मिक्स्ड डबल्स में बी सुमित रेड्डी के साथ जोड़ी बनाएंगी।