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Commonwealth Games 2022 : भारतीय हॉकी टीम पदक जीतने की रेस में, जानिए अब तक कैसा रहा है प्रदर्शन

Commonwealth Games 2022 : भारतीय पुरुष हॉकी टीम इससे पहले राष्ट्रमंडल खेलों में दो बार सिल्वर जीत चुकी है, लेकिन ​गोल्ड एक भी नसीब नहीं हुआ है।

Edited By: Pankaj Mishra @pankajplmishra
Published : Jul 18, 2022 17:17 IST, Updated : Jul 18, 2022 17:17 IST
Indian hockey team
Image Source : PTI Indian hockey team

Highlights

  • भारतीय हॉकी टीम ने अब तक दो बार जीता है राष्ट्रमंडल खेलों में सिल्वर मेडल
  • अब तक ऑस्ट्रेलियाई टीम ने जीते हैं, छह बार गोल्ड मेडल, सबसे मजबूत टीम
  • पूरे देश को भारतीय हॉकी टीम से इस बार गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीद

 

Commonwealth Games 2022 : कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय खिलाड़ी फिर से मेडल जीतने की तैयारी में लगे हुए हैं। ​बर्मिंघम में खेले जाने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय हॉकी टीम भी शामिल होगी। साथ ही हॉकी टीम इंडिया से इस बार भी मेडल जीतने की उम्मीद है। हालांकि इस बार केवल सिल्वर मेडल की नहीं, बल्कि गोल्ड मेडल की उम्मीद देशवासी कर रहे हैं। भारतीय पुरुष हॉकी टीम इससे पहले राष्ट्रमंडल खेलों में दो बार सिल्वर जीत चुकी है, लेकिन ​गोल्ड एक भी नसीब नहीं हुआ है। अभी तक गोल्ड मेडल पर ऑस्ट्रेलियाई टीम का दबदबा रहा है और कोशिश होगी इसे खत्म कर भारतीय टीम फाइनल तक पहुंचकर उसे जीते। भारतीय टीम इसकी तैयारी में जुटी हुई है कि इस बार कोई भी गलती न ​की जाए। 

भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में जीता था ब्रॉन्ज मेडल

भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में चार दशक के पदक के सूखे को खत्म किया था। इसके बाद से टीम इंडिया लगातार अच्छा प्रदर्शनल कर रही है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम की कोशिश होगी कि कॉमन​वेल्थ गेम्स में ऑस्ट्रेलिया के दबदबे को खत्म किया जाए। राष्ट्रमंडल खेलों में हॉकी के शामिल होने के बाद पुरुष वर्ग में पूरी तरह से ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहा है। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अब तक सभी छह स्वर्ण पदक अपने नाम किए हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स हॉकी में भारतीय टीम का का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन साल 2010 में रहा था, जब दिल्ली में ये खेल हुए थे और भारत ने सिल्वर मेडल जीता था। इसके बाद साल 2014 में जब ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल हुए तब भी भारत ने रजत पदक जीता था। टीम इसके अलावा चार मौकों पर चौथे स्थान पर रही है, जिसे अच्छा प्रदर्शन नहीं कहा जा सकता।  

टीम इंडिया के प्रदर्शन में कोच ग्राहम रीड का बड़ा योगदान
ऑस्ट्रेलिया के कोच ग्राहम रीड की कोचिंग में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है। ओलंपिक में पदक जीतने का बड़ा कारण कोच ग्राहम रीड भी थे। हालांकि भारतीय टीम फिटनेस से जूझती रही है, लेकिन मौजूदा टीम को विश्व हॉकी के सबसे फिट टीमों में एक माना जाता है। बेहतर फिटनेस का असर नतीजों में दिखाई दे रहा है। टोक्यो में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतने के बाद भारत इस सीजन के एफआईएच प्रो लीग में बेल्जियम और नीदरलैंड बाद तीसरे स्थान पर रहा। भारतीय खिलाड़ी अगर अपनी क्षमता के अनुसार खेलते हैं तो टीम बर्मिंघम से अपने  पहले स्वर्ण के सपने को पूरा कर सकती है। राष्ट्रमंडल खेलों में हालांकि भारतीय टीम का अभियान इतना आसान भी नहीं होगा। 

टीम इंडिया इस बार बड़ी टीमों के ग्रुप में 
ऑस्ट्रेलिया के अलावा भारत को न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, कनाडा और चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से कड़ी टक्कर मिल सकती है। भारतीय टीम पूल बी में इंग्लैंड, कनाडा, वेल्स और घाना के साथ है, जबकि पूल ए में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और स्कॉटलैंड शामिल हैं। ग्राहम रीड ने स्वर्ण जीतने के बारे में पूछे जाने पर पीटीआई-भाषा से कहा कि इन खेलों में क्या होगा, इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है, लेकिन कुछ भी हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय हॉकी में टीमों के बीच का अंतर काफी कम है। उन्होंने ने कहा कि जो चीज हमारे नियंत्रण में नहीं है उस बारे में हम कुछ नहीं कर सकते हैं। हम अपनी चीजों को सुधार सकते हैं। ऐसा भी नहीं है कि टीम का हर पहलू मजबूत है, टीम में अभी सुधार की कुछ गुंजाइश है जैसे कि पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलना और दबाव में रक्षापंक्ति का बिखर जाना। रीड को इन मुद्दों का हल ढूंढना होगा। 

ये खिलाड़ी टीम इंडिया के ​लिए जीत सकते हैं मेडल
टीम में उप-कप्तान हरमनप्रीत सिंह, अमित रोहिदास, वरुण कुमार और युवा जुगराज सिंह के रूप में बेहतरीन पेनल्टी कार्नर विशेषज्ञ हैं, लेकिन उन्हें अपने पेनल्टी को गोल में बदलने पर काम करने की जरूरत है। इसके साथ ही भारतीय रक्षापंक्ति को प्रतिद्वंद्वी टीम के गोल रोकने के लिए बेहतर सामंजस्य बैठाने की जरूरत होगी। अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश के रूप में भारत के पास विश्व स्तरीय गोलकीपर है। श्रीजेश के यह आखिरी राष्ट्रमंडल खेल होंगे और वह इसमें स्वर्ण पदक जीतना चाहेंगे। श्रीजेश ने कहा कि यह निश्चित रूप से मेरा आखिरी राष्ट्रमंडल खेल होगा और मैं स्वर्ण पदक के लिए बेताब हूं। ऑस्ट्रेलिया ने हालांकि अब तक सभी स्वर्ण जीते हैं, लेकिन इस टीम में ऑस्ट्रेलिया को मात देने की क्षमता है। हमने उन्हें अतीत में भी हराया है। 

पूर्व कप्तान सरदार सिंह बोले, ये अच्छा मौका है
भारत के पूर्व कप्तान सरदार सिंह को भी लगता है कि भारत के पास शानदार मौका है। उन्होंने कहा कि टोक्यो और प्रो लीग में दमदार प्रदर्शन के बाद यह टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है। उन्हें बस मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने की जरूरत है अगर वे अपनी क्षमता से खेलते हैं, तो कुछ भी हो सकता है। भारतीय महिला टीम से भी टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने के बाद बर्मिंघम में पदक की उम्मीद है। टीम ओलंपिक में मामूली अंतर से पदक से चूक कर चौथे स्थान पर रही थी। भारतीय महिला टीम ने 2002 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और इसके चार साल बाद मेलबर्न में रजत पदक जीता। टीम 1998 और 2018 में चौथे स्थान पर रही है। महिला टीम के लिए पेनल्टी को गोल में बदलना सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। टीम और कोच यानेक शोपमैन को ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद होगी। 

कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भारतीय पुरुष टीम 
गोलकीपर : पीआर श्रीजेश और कृष्ण बहादुर पाठक
डिफेंडर : वरुण कुमार, सुरेंद्र कुमार, हरमनप्रीत सिंह, अमित रोहिदास, जुगराज सिंह और जरमनप्रीत सिंह
मिडफिल्डर : मनप्रीत सिंह (कप्तान), हार्दिक सिंह, विवेक सागर प्रसाद, शमशेर सिंह, आकाशदीप सिंह और नीलकांत शर्मा
फॉरवर्ड : मनदीप सिंह, ललित कुमार उपाध्याय, गुरजंत सिंह और अभिषेक।

कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भारतीय महिला टीम 
सविता पूनिया (कप्तान/ गोलकीपर), रजनी इतिमार्पू (गोलकीपर) दीप ग्रेस एक्का (उप-कप्तान/ डिफेंडर), गुरजीत कौर, निक्की प्रधान, उदिता, निशा, सुशीला चानू, पुखराम्बाम, मोनिका, नेहा, ज्योति, नवजोत कौर, सलीमा टेटे  वंदना कटारिया, लालरेमसियामी, नवनीत कौर, शर्मिला देवी और संगीता कुमारी। 

(PTI Inputs)

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