भारतीय पहलवान बजंरग पुनिया ने टोक्यो ओलंपिक में कजाकिस्तान के पहलवान दौलत नियाजबेकोव को 8-0 सेमात देकर हिंदुस्तान का नाम दुनिया में रोशन किया था। इसी के साथ ओलंपिक में बजरंग ने कांस्य पदक हासिल किया। कांस्य पदक जीतने के बाद बजरंग ने वादा किया था कि पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर लाएंगे। लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा।
राजनीति के 'दंगल' में फंसे बजरंग
देश-दुनिया में नाम कमाने वाले स्टार रेसलर बजरंग की कहानी में उस वक्त घुमाव आया, जब भारतीय कुश्ती महासंघ और उसके अध्यक्ष बृजभूषण सिंह से विवाद पर पहलवानों का जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन शुरू हो गया। इस धरने में बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक बैठे हुए थे। धरने प्रदर्शन की वजह से बजरंग अपने रोजाना के अभ्यास से दूर होगए, किसी ने भी नहीं सोचा था कि ये धरना पहलवानों के लिए चुनौती बन जाएगा, पहलवानों की मांगों को लेकर विवादरहा, जो अभी भी जारी है, इस धरने की वजह से बजंरग काध्यान पेरिस ओलंपिक से बिल्कुल हट गया।
गोल्ड के लिए दिन-रात की मेहनत जरूरी
टोक्यो ओलंपिक में बजरंग भले ही कांस्य पदक जीत पाए हो, लेकिन उनका सपना गोल्ड जीतने का है, ये हम सभी जानते हैं कि गोल्ड मेडल जीतने के लिए 1 साल नहीं कई सालों की मेहनत लगती है, तब कहीं जाकर गोल्ड मेडल आपकी झोली में आता है। पेरिस ओलंपिक अगले सालयानि 2024 में खेला जाना है और उसके लिए बजरंग मानसिक तौर पर बिल्कुल तैयार नजर नहीं आ रहे है, बृजभूषण सिंह के खिलाफ जो मोर्चा खोला था, बजरंग उसी में फंसकर पेरिस को भुला बैठे है।