Highlights
- आजादी का अमृत महोत्सव में कर्णम मल्लेश्वरी की जीत का जश्न
- कर्णम मल्लेश्वरी ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला
- कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक में जीता था कांस्य पदक
Azadi Ka Amrit Mahotsav: भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। ब्रिटिश उपनिवेशवाद की जाल से निकले 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं और देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। स्वतंत्रता के बाद, भारत खेल जगत में एक मजबूत स्थान बनाने की होड़ में शामिल है। खासकर वेटलिफ्टिंग में भारत एक खास मुकाम बनाने की ओर अग्रसर है। 2020 टोक्यो ओलंपिक गेम्स में मीराबाई चानू ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया, तो कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने कई नए रिकॉर्ड बनाए। भारत राष्ट्रमंडल खेलों में वेटलिफ्टिंग में कुल 10 पदक के साथ टॉप पर रहा। भारोत्तोलन में भारत शीर्ष की ओर बढ़ रहा है। इस महान सफर का आगाज 1 जून 1975 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव जन्मी एक लड़की ने किया था। वेटलिफ्टिंग में भारत को विश्व मंच पर मिली ऊर्जा का संचार कर्णम मल्लेश्वरी ने किया था। इस खेल में पहली बार पूरी दुनिया को भारत की शक्ति अहसास आज से 22 साल पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने कराया था।
ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला
कर्णम मल्लेश्वरी का जन्म में हुआ था। वह खेलों के इतिहास की सबसे सफल भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। मल्लेश्वरी 25 वर्ष की आयु में 2000 सिडनी ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने इन ओलंपिक खलों में 69 किलोग्राम वर्ग में कुल 240 किलो वजन उठाकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था।
भारतीय वेटलिफ्टर ने स्नैच राउंड में अपने तीसरे प्रयास में 110 किलो वेट लिफ्ट किया और चीन की ली विनिंग के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहीं। क्लीन एंड जर्क राउंड में अपने दूसरे प्रयास में मल्लेश्वरी ने 130 किलो वजन उठाया जिससे उनके कुल वेट का आंकड़ा 240 किलो तक पहुंच गया। हालांकि भारतीय वेटलिफ्टर ने तीसरे प्रयास में 137.5 किलो भार उठाने की कोशिश की, जो उन्हें गोल्ड मेडल दिला देता, पर नाकाम रहीं। चीन की विनिंग ने उनसे ढाई किलो ज्यादा वेट लिफ्ट करके गोल्ड जीता, पर कर्णम मल्लेश्वरी ने थोड़े से अंतर से कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह भारत की पहली ओलंपिक मेडलिस्ट महिला एथलीट बनने के साथ वेटलिफ्टिंग में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। 200 सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी को मिला कांस्य भारत का एकमात्र पदक था।
सिडनी ओलंपिक से पहले बन चुकी थीं टॉप वेटलिफ्टर
मल्लेश्वरी को 2000 ओलंपिक में मिली सफलता हैरान करने वाली नहीं थी। वह सात साल पहले से ही दुनिया की चोटी की वुमेन वेटलिफ्टर्स में गिनी जाने लगी थीं। मल्लेश्वरी ने 1994 और 1995 में 54 किग्रा वर्ग में विश्व खिताब जीता और 1993 और 1996 में तीसरे स्थान पर रहीं थीं। 1994 में, उन्होंने इस्तांबुल में विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता और 1995 में उन्होंने 54 किलोग्राम वर्ग में कोरिया में एशियाई वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप जीतीं। उसी साल, उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में 113 किग्रा की रिकॉर्ड लिफ्ट के साथ चीन में खिताब जीता। अपनी ओलंपिक जीत से पहले ही, मल्लेश्वरी 29 अंतरराष्ट्रीय पदकों के साथ दो बार की वेटलिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियन रह चुकी थीं, जिसमें 11 गोल्ड मेडल शामिल थे।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदकों के साथ, कर्णम मल्लेश्वरी को 1994 में अर्जुन पुरस्कार, 1999 में खेल रत्न और 1999 में भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।