Highlights
- मैरीकॉम ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीते आठ पदक
- सबसे ज्यादा छह बार जीतीं गोल्ड
- लंदन ओलंपिक में पहली बार जीतींं ब्रॉन्ज
Azadi Ka Amrit Mahotsav: देशभर में 75वें स्वतंत्रता दिवस की धूम है। हर कोई आजादी के जश्न में खूद को तिरंगे से रंगने में लगा हुआ है। लेकिन एक ऐसी खिलाड़ी भी है जिसने अपने अद्भुत खेल के दम पर भारतीय तिरंगे को कई बार विश्व पटल पर ऊंचा लहराया है। हम बात कर रहे हैं दिग्गज मुक्केबाज मैरीकॉम की, जिन्होंने छह बार विश्व चैंपियनशिप जीतने के अलावा ओलंपिक मेडल भी अपनी झोली में डाला। दुनिया का शायद ही कोई ऐसा मंच हो जहां मैरीकॉम ने मुक्केबाजी में पदक नहीं जीता हो।
वर्ल्ड चैंपियनशिप से ओलंपिक मेडल तक जीतीं
मुक्केबाजी में अगर दुनिया पर राज करने की बात होगी तो भारत की मैरीकॉम की बात किए बगैर ये हमेशा अधूरी रहेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि जहां दुनियाभर के खिलाड़ी वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक मेडल को तरसते हैं तो वहीं मणिपुर की मैरीकॉम ने अपने दमदार पंच के दम पर छह गोल्ड समेत कुल मेडल अपने नाम किए। यही नहीं उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप, एशियाई गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी पदक जीते। यह उनका जुनून और जज्बा ही था जिसने उनके ओलंपिक मेडलिस्ट बनने का सपना भी पूरा किया।
ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज
मैरीकॉम एक ऐसी भारतीय खिलाड़ीं हैं, जिनके पास देश के सर्वोच्च मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड के साथ-साथ हर चैंपियनशिप में कम से कम के पदक हैं। 39 साल की मैरीकॉम शायद ही आगामी पेरिस ओलंपिक में खेलते दिखें, लेकिन 2012 में लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर उन्होंने अपने अधूरे सपने को न सिर्फ पूरा किया बल्कि दुनियाभर के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी बन गईं। यह पहली बार था जब ओलंपिक में महिला मुक्केबाजी को शामिल किया गया था, ऐसे में मैरीकॉम ने यहां मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था। वह ओलंपिक में महिला मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय मुक्केबाज बन गई थीं।
विश्व चैंपियनशिप में रहा दबदबा
मैरीकॉम के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह छह बार विश्व चैंपियन बनने वाली दुनिया की एकमात्र मुक्केबाज हैं। 2001 में जब पहली बार इन खेलों के वर्ल्ड चैंपियनशिप की शुरुआत हुई थी, तब मैरी ने सिल्वर मेडल जीतक दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया था। लेकिन इसके बाद उन्होंने लगातार छह गोल्ड मेडल जीते। वह एकमात्र खिलाड़ी हैं जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप के शुरू को सातों सीजन में मेडल जीते। वह विश्व चैंपियनशिप में आठ मेडल जीतने वाली दुनिया की एकमात्र महिला मुक्केबाज हैं। इसे सीधे शब्दों में कहें तो मैरीकॉम ने मुक्केबाजी में दुनिया पर एकछत्र राज किया है। उनके लिए हालांकि सबसे खास मेडल 2008 का गोल्ड था, क्योंकि तब उन्होंने जुड़वा बच्चों के जन्म के बाद दो साल बाद वापसी करते हुए इस मेडल को जीता था।
पहले ओलंपिक में जीतीं मेडल
2012 ओलंपिक में पहली बार महिला मुक्केबाजी को शामिल करने से पहले मैरीकॉम बॉक्सिंग की दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी थीं, यह यूं कहें कि यहां उनका दबदबा था। हालांकि ओलंपिक में उनके लिए चीजें आसान नहीं थी, क्योंकि यहां उन्हें नए भारवर्ग में अपना दम दिखाना था। जबकि उनकी महारत वाली कैटेगरी को ओलंपिक में शामिल नहीं किया गया था। बावजूद इसके ओलंपिक मेडल जीतने की मैरीकॉम की मजबूत इच्छाशक्ति ने उनके सामने आई चुनौतियों को छोटा कर दिया।
मैरीकॉम की उपलब्धियां
मैरीकॉम जैसे-जैसे दुनियाभर में अपनी मुक्केबाजी से तिरंगे का मान बढाती गईं, वैसे-वैसे भारत सरकार द्वारा उन्हे सम्मानित किया जाने लगा। उन्हें 2003 में अर्जुन अवॉर्ड तो 2009 में खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। खेलों के इन प्रतिष्ठित अवॉर्ड के अलावा उन्हें 2006 में पद्मश्री, 2013 में पद्मभूषण और 2020 में भारत सरकार ने दूसरे सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया।
मैरीकॉम के मेडल्स
इवेंट | गोल्ड | सिल्वर | ब्रॉन्ज |
ओलंपिक | 0 | 0 | 1 |
वर्ल्ड चैंपियनशिप | 6 | 1 | 1 |
एशियन गेम्स | 1 | 0 | 1 |
कॉमनवेल्थ गेम्स | 1 | 0 | 0 |
एशियन चैंपियनशिप | 5 | 2 | 0 |
कुल पदक | 13 | 3 | 3 |