Highlights
- AIFF प्रेसिडेंट इलेक्शन में हारे बाइचुंग भूटिया
- पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी कल्याण चौबे ने भूटिया को हराया
- ईस्ट बंगाल टीम के पूर्व गोलकीपर हैं चौबे
AIFF President Election: आखिरकार अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को अपने अध्यक्ष के रूप में एक ऐसा शख्स मिल ही गया जो देश के पहले खेल भी चुका है। ये एक बड़ा बदलाव है। 1937 में स्थापित होने के बाद पहली बार AIFF को बतौर अध्यक्ष एक पूर्व खिलाड़ी मिला है। AIFF को अपने 85 साल के इतिहास में शुक्रवार को पहली बार कल्याण चौबे के रूप में पहला ऐसा अध्यक्ष मिला जो पूर्व में खिलाड़ी रह चुके हैं।
कल्याण चौबे ने एकतरफा मुकाबले में बाइचुंग भूटिया को हराया
अध्यक्ष पद की रेस में चौबे के साथ पूर्व महान फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया भी शामिल थे। हालांकि चौबे को पहले से ही फेवरेट माना जा रहा था लेकिन दोनों पूर्व दिग्गज फुटबॉलर्स के बीच चुनाव में एक अच्छे मुकाबले के कयास भी लगाए जा रहे थे पर चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे। चौबे ने अध्यक्ष पद के चुनाव में भूटिया को एकतरफ मुकाबले में शिकस्त दे दी। मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के पूर्व गोलकीपर 45 साल के चौबे ने 33-1 से जीत दर्ज की।
घरेलू टीम के पूर्व फुटबॉलर से हारे इंटरनेशनल खिलाड़ी भूटिया
कल्याण चौबे की जीत पहले ही तय लग रही थी क्योंकि पूर्व कप्तान भूटिया को राज्य संघों के प्रतिनिधियों के 34 सदस्यीय निर्वाचक मंडल में बहुत अधिक समर्थन हासिल नहीं था। सिक्किम के रहने वाले 45 साल के भूटिया का नामांकन पत्र भरते समय उनके राज्य संघ का प्रतिनिधि भी प्रस्तावक या अनुमोदक नहीं बना था। पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर सीट से हारने वाले भाजपा के राजनीतिज्ञ चौबे कभी भारतीय सीनियर टीम से नहीं खेले हालांकि वह कुछ अवसरों पर टीम का हिस्सा रहे थे। चौबे मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के लिए गोलकीपर के रूप में खेले हैं। भूटिया और चौबे एक समय ईस्ट बंगाल में साथी खिलाड़ी थे।
भूटिया ने चुनाव के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘मैं भारतीय फुटबॉल की बेहतरी के लिए भविष्य में भी काम करता रहूंगा। कल्याण को बधाई। मुझे उम्मीद है कि वह भारतीय फुटबॉल को आगे लेकर जाएंगे।’’
कर्नाटक फुटबॉल संघ के अध्यक्ष और कांग्रेस के विधायक एनए हारिस ने उपाध्यक्ष के एकमात्र पद पर जीत दर्ज की। उन्होंने राजस्थान फुटबॉल संघ के मानवेंद्र सिंह को 29-5 से हराया। अरुणाचल प्रदेश के किपा अजय ने आंध्र प्रदेश के गोपालकृष्णा कोसाराजू को 32-1 से हराकर कोषाध्यक्ष पद हासिल किया। कोसाराजू ने अध्यक्ष पद के लिए भूटिया के नाम का प्रस्ताव रखा था जबकि मानवेंद्र ने उसका समर्थन किया था। कार्यकारिणी के 14 सदस्यों के लिए इतने ही उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था और उन्हें निर्विरोध चुना गया।