भारत की 17 साल की अदिति स्वामी वर्ल्ड तीरंदाजी चैंपियनशिप के कंपाउंड महिला फाइनल में मैक्सिको की एंड्रिया बेसेरा को हराकर सबसे कम उम्र में सीनियर वर्ल्ड चैंपियन बनीं। वह इस स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने वाली देश की पहली खिलाड़ी हैं। ओजस देवताले ने पुरुषों के कंपाउंड वर्ग में 150 के सटीक स्कोर के साथ खिताब जीता जिससे भारत ने अपने अभियान का अंत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ किया।
अदिती स्वामी ने रचा इतिहास
अदिति स्वामी और देवताले दोनों सतारा में एक ही अकादमी में कोच प्रवीण सावंत की देखरेख में प्रशिक्षण लेते हैं। सतारा की 12वीं कक्षा की छात्रा अदिति ने जुलाई में लिमरिक में युवा चैंपियनशिप में अंडर-18 का खिताब जीता था। उन्होंने यहां फाइनल 149 अंक के साथ मैक्सिको की खिलाड़ी को दो अंक से पछाड़ा। एंड्रिया को फाइनल में छठी वरीयता प्राप्त भारतीय खिलाड़ी से शुरुआत से ही कड़ी चुनौती मिली। अदिति के शुरूआती तीनों तीर से निशाने के सेंटर में लगे जिससे उन्होंने पहले दौर में 30-29 की बढ़त बना ली। उन्होंने लय को जारी रखते हुए अगले तीन दौर में इस प्रदर्शन को दोहराया और तीन अंक की बढ़त बना ली।
अदिति ने किया धमाकेदार प्रदर्शन
आखिरी दौर में उन्होंने एक निशाना नौ अंक का लगाया जबकि बाकी दो से 10-10 अंक बटोर कर कुल 149 अंक जुटाए। एंड्रिया 147 अंक ही बना सकी। इस टूर्नामेंट में यह उनका दूसरा स्वर्ण पदक है। अदिति ने परनीत कौर और ज्योति सुरेखा वेन्नम के साथ शुक्रवार को कंपाउंड महिला टीम फाइनल जीतकर भारत के लिए पहली बार विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक हासिल किया था। अदिति ने इससे पहले क्वार्टर फाइनल में नीदरलैंड की सान्ने डी लाट और सेमीफाइनल में ज्योति को 149-145 से शिकस्त दी थी।
गोल्ड जीतने के बाद कही ये बात
अदिति ने इस प्रदर्शन के बाद कहा कि बस भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल जीतना था और कुछ सोच दिमाग में नहीं आ रही थी। मुझे पता था कि वह बहुत अनुभवी है और ऐसी तीरंदाज है जिसका मैं अनुसरण करती हूं। मैंने अपना ध्यान सिर्फ अपनी तीरंदाजी पर रखा और बाकी सब ठीक हो गया। मुझे बहुत गर्व है, मैं विश्व चैंपियनशिप में बजने वाले राष्ट्रगान के 52 सेकंड सुनना चाहती थी। यह तो बस शुरुआत है। हमें एशियाई खेलों में भाग लेना है और मैं वहां देश के लिए स्वर्ण जीतना चाहती हूं।
अदिति ने कहा कि यह वाकई बहुत अच्छा है कि मैं 17 साल की उम्र में विश्व चैंपियन बन गई। मैं अपने सभी समर्थकों और भारत के सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहती हूं जिन्होंने मुझे विश्व चैंपियन बनने में मदद की।