नई दिल्ली| युवा ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय जेरेमी लालरिनुंगा ने रविवार को कहा कि वह सीनियर स्तर के विभिन्न भारोत्तोलन प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करके अपने पिता के सपने को पूरा कर रहे है।
17 साल के इस खिलाड़ी के पिता जूनियर मुक्केबाजी चैम्पियन थे लेकिन उन्हें कभी देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे पिता मेरे करियर के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है। मैंने जब से भरोत्तोलन में हाथ आजमाने का फैसला किया उन्होंने तभी से मेरा पूरा साथ दिया। वह मुक्केबाज थे, उन्होंने खिलाड़ी के तौर पर अपने अनुभव मुझसे साझा किये है। वह जूनियर चैम्पियन थे लेकिन दुर्भाग्य से देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला इसलिए मैं उनके सपने को साकार कर रहा हूं।"
आइजोल का यह खिलाड़ी 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए जगह बनाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने इस साल 67 किग्रा भार वर्ग में दो रजत पदक जीते है। इस खिलाडी ने कहा, ‘‘ मैं 2020 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने की तैयारी कर रहा हूं। ओलंपिक क्वालीफिकेशन के लिए आखिरी टूर्नामेंट इस साल अप्रैल में होगा। मैं उस प्रतियोगिता कि तैयारी कर रहा हूं।’’
उन्होंने बताया, ‘‘ मैंने थाईलैंड में ईजीएटी कप अंतरराष्ट्रीय चैम्पियनशिप और छठे कतर अंतरराष्ट्रीय चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता।’’
खेलो इंडिया के पहले और दूसरे सत्र में स्वर्ण जीतने वाले जेरेमी ने कहा कि इससे युवा खिलाड़ियों को अच्छा अनुभव मिलता है। उन्होंने कहा, ‘‘ युवा खिलाड़ियों को खेलों इंडिया यूथ गेम्स में अच्छा अनुभव मिलता है। यह प्रतियोगिता अंतरराष्ट्रीय स्तर की है।’’