उलान उदे (रूस)। भारत की एमसी मैरीकॉम को यहां जारी विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में 51 किलोग्राम भारवर्ग के सेमीफाइनल तुर्की की बुसेनांज कारिकोग्लू के खिलाफ हार झेलनी पड़ी। इस हार के साथ ही छह बार की विश्व चैम्पियन मैरी को इस बार कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। कारिकोग्लू ने भारतीय खिलाड़ी को 4-1 से शिकस्त दी।
भारत ने इस फैसले के खिलाफ अपील की, लेकिन उसे ठुकरा दिया गया। एआईबीए के निर्देशों के अनुसार, एक खिलाड़ी तभी अपील कर सकता है जब वह 2:3 या 1:3 के अंतर से मैच हारा हो। मैरी 1:4 से मुकाबला हारी थी इसलिए तकनीकी समिति ने उनके पीले कार्ड को स्वीकार नहीं किया।
मैच के बाद मैरी ने खेल मंत्री किरण रिजिजू और प्रधानमंत्री नेंरद्र मोदी को टैग करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, "कैसे और क्यों। दुनिया को पता चलने दीजिए कि यह निर्णय कितना सही और गलत है।"
दूसरी सीड कारिकोग्लू के खिलाफ भारतीय खिलाड़ी ने संभलकर शुरुआत की। पहले राउंड में मैरी ने अपनी प्रतिद्वंद्वी के मूव को परखा और अपना पूरा समय लिया। मैरी ज्यादा आक्रामक नहीं हुई और कारिकोग्लू के जैब को भी आसानी से डौज किया।
मैरी ने दूसरे बाउट में यूरोपीयन चैम्पियन के खिलाफ शुरू से ही अटैकिंग रुख अपनाया। उन्होंने कई जैब और हुक लगाए। भारतीय खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंद्वी को कई बार रिंग के पास ले जाने में कामयाब हुई। हालांकि, दोनों खिलाड़ियों को ज्यादा सफलता नहीं मिली और मुकाबला कांटे का रहा।
कारिकोग्लू के लिए तीसरे राउंड की शुरुआत बेहतरीन रही। उन्होंने दमदार जैब और हुक लगाते हुए कई महत्वपूर्ण अंक हासिल किए। तुर्की की खिलाड़ी आक्रामक नजर आई और मैरी को परेशानी हुई। बाउट खत्म होने के बाद पांच जजों ने कारिकोग्लू के पक्ष में 28-29, 30-27, 29-28, 29-28, 30-27 से फैसला सुनाया।
मैरी 48 किलोग्राम भारवर्ग में छह बार विश्व चैम्पियन रह चुकी हैं और 51 किलोग्राम भारवर्ग में यह विश्व चैम्पियनशिप में उनका पहला पदक है।
इस हार से पहले उन्होंने केवल एक बार इस प्रतियोगिता में स्वर्ण के अलावा कोई और पदक जीता है। 2001 में टूर्नामेंट के फाइनल में उन्हें हार झेलनी पड़ी थी।