रूस में खेले गए फीफा विश्व कप के 21वें संस्करण में इंग्लैंड को सेमीफाइनल तक पहुंचाने वाले कप्तान हैरी केन टूर्नामेंट में गोल्डन बूट का पुरस्कार जीतने में सफल रहे। इस विश्व कप का खिताब फ्रांस के नाम रहा। फाइनल में फ्रांस ने क्रोएशिया को 4-2 से हराकर खिताब जीता जो उसका दूसरा खिताब है। 1998 में उसने पहला खिताब जीता था। केन ने टूर्नामेंट के छह मैचों में छह गोल किए। केन 32 सालों में इंग्लैंड के पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने गोल्डन बूट का पुरस्कार जीता है। इससे पहले इंग्लैंड के गेरी लिनेकर ने 1986 में छह गोल के साथ गोल्डन बूट अवॉर्ड जीता था।
केन हालांकि इस पुरस्कार को पाने के लिए व्यक्तिगत रूप से यहां उपलब्ध नहीं थे क्योंकि वो दोपहर ही इंग्लैंड रवाना हो चुके थे। बेल्जियम के रोमेलु लुकाकू चार गोल के साथ दूसरे, मेजबान रूस के डेनिस चेरिशेव पांच मैचों में चार गोल के साथ तीसरे और पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो चार मैचों में चार गोल के साथ चौथे नंबर पर रहे। विजेता फ्रांस के एंटोइन ग्रीजमैन ने सात मैचों में चार गोल किए। फ्रांस के फॉरवर्ड 19 वर्ष के कीलियन एमबाप्पे अपना पहला विश्व कप खेल रहे थे और उन्होंने सात मैचों में चार गोल किए। इस वहज से वो टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी चुने गए।
बेल्जियम के गोलकीपर थिबाउट कुर्टियोस को शानदार गोलकीपिंग के लिए गोल्डन ग्लव्स का पुरस्कार दिया गया। उन्होंने इस विश्व कप में सबसे ज्यादा 27 बचाव किए जिसके कारण वो इस पुरस्कार के हकदार बने। बेल्जियम की टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी। उसने इंग्लैंड को मात देकर तीसरा स्थान हासिल किया। मौजूदा समय में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मिडफील्डर माने जाने वाले क्रोएशिया के लुका मॉड्रिक को गोल्डन बॉल का पुरस्कार प्रदान किया गया। मॉड्रिक ने टूर्नामेंट के सात मैचों में तीन गोल किए। पुरस्कार वितरण समारोह में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, फीफा के अध्यक्ष गियानी इन्फैंटिनो और क्रोएशिया की राष्ट्रपति कोलिंदा ग्रैबर मौजूद रहीं।