टोक्यो ओलंपिक 2020 के 10वें दिन भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन लाजवाब रहा। एक तरफ हॉकी टीम ने सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रचा, वहीं कमलप्रीत कौर डिस्क थ्रो में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 6ठें स्थान पर रही। घुड़सवारी में भी मिर्जा मेडल से जरूर चूंके, लेकिन फाइनल में वह जगह बनाने में कामयाब रहे थे।
बात महिला हॉकी टीम की करें तो आज उन्होंने क्वाटर फाइनल में तीन बार की ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट ऑस्ट्रेलिया पर 1-0 से जीत दर्ज की। मैच शुरू होने से पहले ऑस्ट्रेलिया फेवरेट थी। किसी को नहीं लग रहा था कि भारतीय महिला टीम क्वाटर फाइनल से आगे बढ़ सकती है, लेकिन टीम ने एकजुट होकर यह करिशमा करके दिखाया।
भारत ने पहले क्वाटर में अटैक करने की कोशिश की, लेकिन वह गोल दागने में कामयाब नहीं रही। वहीं डिफेंस भी भारत का मजबूत दिखा और पहले क्वाटर तक भारत ने एक गोल भी नहीं खाया। दूसरे क्वाटर में भारत की ओर से गुरजीत कौर ने पैनेटली कॉर्नर के जरिए गोल दागकर भारत को बढ़त दिलाई और भारत ने यह बढ़त को अंत तक बरकरार रखा।
वहीं बात कमलप्रीत कौर की करें तो 63.70 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो लगाकर वह छठें स्थान पर रहीं। शनिवार को क्वालीफाइंग दौर में दूसरे स्थान पर रही कमलप्रीत आठ दौर के फाइनल में कभी भी पदक की दौड़ में नहीं रही। बारिश के कारण मुकाबला एक घंटे तक बाधित रहा। कमलप्रीत ने तीसरे दौर में 63.70 मीटर का थ्रो फेंका और छठे स्थान पर रही।
इससे पहले 2010 राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता कृष्णा पूनिया भी लंदन ओलंपिक 2012 में छठे स्थान पर रही थी। अपने निजी कोच के बिना आई कमलप्रीत पूरे फाइनल में नर्वस नजर आई। अभी तक वह एकमात्र अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट विश्व यूनिवर्सिटी खेल 2017 में भाग ले पाई हैं और उनमें आत्मविश्वास का अभाव दिख रहा था।
दुती चंद ने महिलाओं की 200 मीटर दौड़ में इस सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन वह अपनी हीट में सातवें और अंतिम स्थान पर रहकर ओलंपिक से बाहर हो गयी। दुती ने चौथी हीट में 23.85 सेकेंड का समय निकाला जो उनका इस सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है लेकिन यह सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिये पर्याप्त नहीं था। 25 वर्षीय दुती इससे पहले अपनी पसंदीदा 100 मीटर दौड़ में भी सेमीफाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर पायी थी।
भारत के फवाद मिर्जा ओलंपिक की घुड़सवारी स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बनने के बाद इवेंटिंग स्पर्धा में 23वें स्थान पर रहे। मिर्जा ने अपने घोड़े सिगन्योर मेडिकॉट के साथ व्यक्तिगत इवेंटिंग वर्ग के जंपिंग फाइनल्स में प्रवेश किया था। फाइनल में उन्हें 12.40 पेनल्टी अंक मिले और उनके कुल 59.60 पेनल्टी अंक रहे जिसमें क्वालीफाइंग स्पर्धाओं ड्रेसेज, क्रॉसकंट्री और जंपिंग के तीन दौर के अंक शामिल है।
बेंगलुरू के 29 वर्ष के राइडर मिर्जा सिडनी ओलंपिक 2000 में इम्तियाज अनीस के बाद ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय हैं। दिवंगत विंग कमांडर आई जे लाम्बा (अटलांटा 1996) ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय थे।
वहीं ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर और संजीव राजपूत मेंस 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन के फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहे जिससे रियो ओलंपिक के बाद टोक्यो ओलंपिक से भी भारतीय निशानेबाजों का खाली हाथ लौटना तय हो गया।
ऐश्वर्य असाका निशानेबाजी रेंज में नीलिंग में 397, प्रोन में 391 और स्टैंडिंग में 379 अंक से कुल 1167 अंक जुटाकर 21वें स्थान पर रहते हुए फाइनल में जगह बनाने की दौड़ से बाहर हो गए।
अनुभवी निशानेबाज राजपूत ने भी निराश किया और नीलिंग में 387, प्रोन में 393 तथा स्टैंडिंग में 377 अंक से कुल 1157 अंक जुटाए। वह 39 निशानेबाजों के बीच 32वें स्थान पर रहते हुए क्वालीफिकेशन से ही बाहर हो गए।
पचास मीटर राइफल थ्री पोजीशन में नीलिंग, प्रोन और स्टैंडिंग तीनों वर्ग की 10-10 निशानों की चार-चार सीरीज होती है। निशानेबाज प्रत्येक सीरीज में अधिकतम 100 अंक हासिल कर सकता है।
क्वालीफिकेशन के बाद शीर्ष आठ निशानेबाज फाइनल में जगह बनाते हैं। इसके साथ ही भारतीय निशानेबाजों का तोक्यो ओलंपिक से बिना पदक जीते लौटना भी तय हो गया।