राष्ट्रमंडल खेलों की दो बार की स्वर्ण पदक विजेता के संजीता चानू इंटनेशनल वेटलिफ्टिंग फेडरेशन (आईडब्ल्यूएफ) से मानसिक उत्पीड़न पहुंचाने के लिये मुआवजे की मांग करेंगी क्योंकि वह लंबे समय से चल रहे अपने डोपिंग मामले के फैसले का इंतजार कर रही हैं।
चानू को नवंबर 2017 में एनाबोलिक स्टेराइड टेस्टोस्टेरोन का पॉजिटिव पाया गया था। तब से उनके मामले पर अभी तक कोई फैसला नहीं आया है जिसमें कई तरह की प्रशासनिक गड़बड़ियां भी हुईं।
चानू के भाई और सुनवाई के गवाह बिजेन कुमार खुमुकचाम ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमने सोचा कि मामला खत्म हो गया है क्योंकि आईडब्ल्यूएफ ने उसे प्रतियोगिताओं में भाग लेने की अनुमति दे दी। लेकिन हाल में हमने अर्जुन पुरस्कार के लिये आवेदन किया और जब हमने भारतीय फेडरेशन से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि उसका मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। उस पर से अभी डोपिंग का कलंक हटा नहीं है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमने पहले मुआवजा मांगने की बात नहीं सोची थी लेकिन अब यह मामला इतना लंबा चला गया है। मुआवजा केवल पैसे की बात नहीं है बल्कि वह पिछले दिनों इससे इतनी परेशान हुई है। ’’
चानू पर 15 मई 2018 से 22 जनवरी 2019 तक नौ महीने के लिए अस्थायी निलंबन लगाया गया था, जिसके बाद उन्हें टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई थी।