Friday, November 22, 2024
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आखिर ‘सुपरकोच’ पुलेला गोपीचंद ने क्यों कहा, हम अभी चीन से बहुत पीछे हैं

हाल के कुछ सालों में भारतीय बैडमिंटन ने नई ऊंचाइयां छूईं हैं और इसके पीछे निश्चित रूप से राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद का बहुत बड़ा रोल है।

Bhasha
Published on: June 30, 2017 18:37 IST
PV Sindhu Pullela Gopichand Srikanth Kidambi | Getty Images- India TV Hindi
PV Sindhu Pullela Gopichand Srikanth Kidambi | Getty Images

नई दिल्ली: हाल के कुछ सालों में भारतीय बैडमिंटन ने नई ऊंचाइयां छूईं हैं और इसके पीछे निश्चित रूप से राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद का बहुत बड़ा रोल है। हालांकि इतनी सफलता मिलने के बाद भी गोपीचंद का मानना है कि भारत इस खेल में चीन की तरह मजबूत शक्ति बनने से अभी मीलों पीछे है और बैडमिंटन सुपरपावर बनने के लिए घरेलू ढांचे और प्रशासन में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत पड़ेगी।

गोपीचंद ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम अभी चीन से काफी पीछे हैं। मुझे नहीं लगता कि यह सही तुलना होगी। हमने अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन मैं विश्व चैंपियनशिप, ओलंपिक और ऑल इंग्लैंड में अच्छा प्रदर्शन चाहता हूं। लगातार अच्छा प्रदर्शन करने पर ही हम ऐसी बात कर सकते हैं। जो भी देश अच्छा प्रदर्शन करते हैं उनके खिलाड़ी लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उनके साथ कोच और सहयोगी स्टाफ भी बेहतर कर रहे है और इसके अलावा सरकारी ढांचा और नीतियां भी अनुकूल बन रही हैं। हमें भी इसकी जरूरत है।’

पूर्व ऑल इंग्लैंड चैंपियन गोपीचंद ने कहा, ‘अभी हमारे खिलाड़ी तो आगे बढ़ रहे हैं लेकिन हमारे कोच, सहयोगी स्टाफ और मैनेजर उस स्तर के नहीं हैं।’ भारतीय शटलर विशेषकर किदाम्बी श्रीकांत की अगुवाई वाले पुरुष खिलाड़ियों ने हाल में अच्छा प्रदर्शन किया है। महिला और पुरुष वर्ग में पिछली 6 में से 4 सुपर सीरीज में भारतीय खिलाड़ी विजेता रहे हैं। पीवी सिंधु ने इंडिया ओपन में जीत दर्ज की जबकि प्रणीत ने सिंगापुर में अपना पहला सुपर सीरीज खिताब जीता। इसके बाद श्रीकांत ने इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में लगातार 2 खिताब अपने नाम किये। गोपीचंद ने घरेलू टूर्नामेंटों के स्तर और प्रशासन की भी आलोचना की।

उन्होंने कहा, ‘हमारे टूर्नामेंट और प्रशासन विश्व स्तरीय नहीं है। हमारे पास अब भी 1991 के आधार पर चलाए जा रहे टूर्नामेंट हैं। इस तरह से पिछले 25 वर्षों से हमारा एक ही तरह का घरेलू ढांचा है। वही राष्ट्रीय चैंपियनशिप, उसी तरह की रैंकिंग और उसी तरह की सोच। राज्य स्तर पर हम उसी तरह के कोच पैदा कर रहे हैं।’

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