ओलंपिक के लिये भारत की 16 सदस्यीय टीम में जगह नहीं पाने के बाद भारतीय पुरूष हॉकी टीम के डिफेंडर वरूण कुमार निराश थे लेकिन वह कोरोना महामारी के बीच ‘वैकल्पिक खिलाड़ी’ के रूप में टीम का हिस्सा बने और उन्हें खुशी है कि अपने पहले ही ओलंपिक में कांस्य पदक जीत सके।
ड्रैग फ्लिकर वरूण और मिडफील्डर सिमरनजीत सिंह को ओलंपिक में पदार्पण का मौका मिला जब अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने महामारी के कारण टीम स्पर्धाओं में वैकल्पिक खिलाड़ियों को शामिल करने की मंजूरी दी।
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वरूण ने कहा ,‘‘ ओलंपिक के लिये टीम की घोषणा हुई तो मेरा नाम 16 सदस्यों में नहीं था । मुझे वह दिन अच्छी तरह से याद है। मैं बहुत दुखी था।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ लेकिन कुछ दिन बाद आईओसी ने 18 खिलाड़ियों को टीम में रखने की अनुमति दे दी। मुझे और सिमरनजीत को मौका मिला। यह बड़ी राहत की बात थी लेकिन कहीं ना कहीं दिमाग में ये था कि अंतिम 16 में जगह नहीं मिल सकी थी और मैं खुद को साबित करना चाहता था।’’
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वरूण ने कहा कि तोक्यो रवाना होने से पहले कप्तान मनप्रीत सिंह से बात करने से उन्हें काफी मदद मिली। उन्होंने कहा ,‘‘ मनप्रीत ने मुझसे काफी देर बात की और मानसिक रूप से मुझे तैयार किया। मनप्रीत का मेरे कैरियर पर बड़ा प्रभाव रहा है। हम एक ही अकादमी में खेलते थे और उससे बात करने से काफी मदद मिली। मैं इस तरह से सोचने लगा कि इस मौके का पूरा इस्तेमाल कैसे करना है।’’
वरूण ने कहा ,‘‘ तोक्यो का अनुभव कमाल का था। कांस्य पदक जीतना और पोडियम पर खड़ा होना शायद मेरे कैरियर का सर्वश्रेष्ठ पल था । अब मेरी प्राथमिकता अपने खेल को और बेहतर करने की है।’’