न्यूयार्क: सेरेने विलियम्स ने अमेरिकी ओपन का खिताब गंवाने के बाद खुद को वैश्विक आइकॉन और करोड़पति बनाने वाले टेनिस के खेल को लिंगभेदी करार दिया। नाओमी ओसाका फाइनल में सेरेना को 6-2, 6-4 से शिकस्त देकर गैंडस्लैम खिताब जीतने वाली जापान की पहली खिलाड़ी बनी। फाइनल मुकाबले के बाद मैच के नतीजे से ज्यादा सुर्खियां सेरेना और चेयर अंपायर के बीच हुआ विवाद बटोर रहा है। मैच के दौरान सेरेना को दूसरे सेट में अंपायर कार्लोस रामोस ने बाक्स से कोचिंग लेने के कारण चेतावनी दी। इसके बाद रैकेट से फाउल पर 36 साल की इस खिलाड़ी को जब दूसरी बार आचार संहिता के उल्लंघन की चेतावनी और एक अंक की पेनल्टी दी गई तो यह अमेरिकी खिलाड़ी गुस्से से भड़क गई। रोते हुए सेरेना ने अंपायर को ‘झूठा’ और ‘चोर’ करार दिया। उन्होंने अंपायर से माफी मांगने को भी कहा।
सेरेना ने फाइनल के बाद पत्रकारों से कहा,‘‘वह मुझ पर बेईमानी का आरोप लगा रहे थे और मैं बेईमानी नहीं कर रही थी। मैं कोर्ट पर रहते समय कोचिंग का इस्तेमाल नहीं करती।’’
सेरेना ने कहा कि इस घटना से उनकी यह धारणा और मजबूत हुई है कि खेलों में महिला खिलाड़ियों से उनके पुरुष समकक्षों से अलग व्यवहार किया जाता है।
उन्होंने कहा,‘‘मैंने पुरुष खिलाड़ियों को अंपायरों को और भी कई चीजें कहते हुए सुना है। मैं यहां महिला अधिकारों और महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने के लिए लड़ रही हूं।’’
सेरेना ने कहा,‘‘मेरे लिए उन्हें चोर कहना और उनका मेरे खिलाफ एक गेम देने से मुझे लगा कि यह लिंगभेदी है। उन्होंने पुरूषों के साथ ऐसा कभी नहीं किया। इसने मुझे झकझोर दिया लेकिन मैं महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ती रहूंगी।’’