भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने रविवार को कहा कि उनके खिलाड़ियों ने 49 साल बाद यहां ओलंपिक सेमीफाइनल में जगह सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों के दौरान 'स्वयं को लगभग मार ही दिया' था। उन्होंने यहां क्वार्टर फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन पर 3-1 की जीत के लिए टीम की सराहना की। मनप्रीत ने कहा कि आत्मविश्वास ने टीम की सफलता में अहम भूमिका निभाई जो 1972 म्यूनिख खेलों के बाद पहली बार ओलंपिक में सेमीफाइनल में जगह बनाने में सफल रही।
मनप्रीत ने कहा, "यह आत्मविश्वास था। सभी को अपने ऊपर यकीन था और आज यह अहम रहा, सभी ने आज अपना शत प्रतिशत दिया और मैदान पर उन्हें स्वयं को लगभग मार ही दिया था।"
भारत ने अपने आठ हॉकी ओलंपिक स्वर्ण पदकों में से आखिरी पदक 1980 मॉस्को खेलों में जीता था लेकिन उस समय सेमीफाइनल नहीं हुए थे क्योंकि सिर्फ छह टीमों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। म्यूनिख खेलों के सेमीफाइनल में भारत को चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ 0-2 से हार झेलनी पड़ी थी। मनप्रीत ने हालांकि टीम के अपने साथियों को समय से पहले जश्न मनाने के प्रति चेताया और कहा कि उनका काम अब तक खत्म नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, "हम बेहद खुश हैं क्योंकि लंबे समय के बाद हमने सेमीफाइनल में जगह बनाई है। हालांकि अब भी हमारा काम खत्म नहीं हुआ है। अब भी हमारे दो मैच बाकी हैं इसलिए हमें एकाग्रता कायम रखने की जरूरत है, हमें अपने पैर जमीन पर रखने की जरूरत है और हमें अपने अगले मैच पर ध्यान लगाना होगा।"
भारतीय टीम सेमीफाइनल में मंगलवार को बेल्जियम से भिड़ेगी। मनप्रीत ने कहा, "सभी काफी अच्छा खेले। हमने तीन शानदार गोल किए, स्ट्राइकरों से अच्छे मौके बनाए और पूरी टीम काफी अच्छा खेली।"
भारत के अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने सोमवार को विरोधी टीम के कई अच्छे प्रयासों को नाकाम किया और मनप्रीत ने उनकी जमकर सराहना की। उन्होंने कहा, "अविश्वसनीय। आप देख सकते हैं कि वह (श्रीजेश) हमें हमेशा बचाता है। इसलिए हम उसे ‘द वॉल’ कहते हैं।"
श्रीजेश ने कहा कि ओलंपिक में अंतिम दो मुकाबलों से पहले सुधार की काफी गुंजाइश है। उन्होंने कहा, "निश्चित तौर पर सुधार की काफी गुंजाइश है लेकिन अगर सेमीफाइनल की बात करें तो यह मेरे लिए नई चीज है। यह मेरा तीसरा ओलंपिक है और यह मेरे लिए नई चीज है। यह ऐसा समय है जब आप कोई गलती नहीं कर सकते।"