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Tokyo Olympics 2020 7th August : नीरज ने स्वर्ण जीतकर रचा इतिहास, बजरंग को मिला कांस्य, भारत ने बनाया रिकार्ड

नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेलों में शनिवार का दिन ऐतिहासिक बना दिया जबकि बजरंग पूनिया भी कांस्य पदक जीतने में सफल रहे जिससे भारत ने किसी एक ओलंपिक खेल में सर्वाधिक पदक जीतने का नया रिकार्ड बनाया।

Reported by: Bhasha
Published on: August 07, 2021 20:48 IST
Tokyo Olympics 2020 7th August Neeraj created history by winning gold, Bajrang got bronze, India mad- India TV Hindi
Image Source : AP Tokyo Olympics 2020 7th August Neeraj created history by winning gold, Bajrang got bronze, India made a record

टोक्यो। भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेलों में शनिवार का दिन ऐतिहासिक बना दिया जबकि बजरंग पूनिया भी कांस्य पदक जीतने में सफल रहे जिससे भारत ने किसी एक ओलंपिक खेल में सर्वाधिक पदक जीतने का नया रिकार्ड बनाया। चोपड़ा ने टोक्योओलंपिक खेलों की भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंककर दुनिया को स्तब्ध कर दिया और भारतीयों को जश्न में डुबा दिया। एथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत का यह पहला ओलंपिक पदक है। स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार पहलवान बजरंग पूनिया ने कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से हराकर तोक्यो ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता में पुरुषों के 65 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता। भारत को गोल्फ में अदिति अशोक भी पदक दिलाने के करीब पहुंच गयी थी लेकिन आखिर में उन्हें चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा।

भारत ने इस तरह से एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक जीतकर तोक्यो खेलों में अपने अभियान का समापन किया। यह भारत का किसी एक ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उसने लंदन ओलंपिक 2012 में छह पदक जीते थे। भारत अभी तोक्यो की पदक तालिका में 47वें स्थान पर है। हरियाणा के खांद्रा गोव के एक किसान के बेटे 23 वर्षीय चोपड़ा शुरू से ही आत्मविश्वास से भरे हुए थे और किसी भी समय दबाव में नहीं दिखे। 

वह एक ‘रॉकस्टार’ की तरह आये और तोक्यो ओलंपिक को भारत के लिये अभी तक का सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक बना गये। चोपड़ा ने बाद में कहा, ‘‘विश्वास नहीं हो रहा। पहली बार है जब भारत ने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीता है इसलिये मैं बहुत खुश हूं। हमारे पास अन्य खेलों में ओलंपिक का एक ही स्वर्ण है। ’’ 

चोपड़ा व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था। चेक गणराज्य के जाकुब वादलेच ने 86.67 मीटर भाला फेंककर रजत जबकि उन्हीं के देश के वितेजस्लाव वेस्ली ने 85.44 मीटर की दूरी तक भाला फेंका और कांस्य पदक हासिल किया। नीरज को ओलंपिक से पहले ही पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। उन्होंने पहले प्रयास में 87.03 मीटर भाला फेंका था और वह शुरू से ही पहले स्थान पर चल रहे थे। 

तीसरे प्रयास में वह 76.79 मीटर भाला ही फेंक पाये जबकि चौथे प्रयास में फाउल कर गये। उन्होंने अपने आखिरी प्रयास में 84.24 मीटर भाला फेंका लेकिन इससे पहले उनका स्वर्ण पदक पक्का हो गया था। चोपड़ा समझ गये थे कि उन्होंने स्वर्ण पदक पक्का कर दिया है तो वह जश्न मनाने लग गये। स्पर्धा समाप्त होने के बाद चोपड़ा स्टेडियम में मौजूद भारतीय दल के सदस्यों के पास गये और उन्होंने हवा में मुट्ठी भींची। इसके बाद उन्होंने स्वयं पर तिरंगा लपेटा और मैदान पर थोड़ी दूर तक दौड़ लगायी। चोपड़ा ने अपने करियर का पांचवां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जिससे उन्होंने वह कर दिखाया जो 1960 में मिल्खा सिंह और 1984 में पी टी ऊषा नहीं कर पायी थी। 

कुश्ती में बजरंग स्वर्ण पदक नहीं जीत पाये लेकिन वह कांस्य पदक लेकर स्वदेश लौटेंगे। उनके इस पदक से भारत ने कुश्ती में अपने पिछले रिकार्ड की बराबरी की। तोक्यो खेलों में रवि दहिया ने कुश्ती में पुरुषों के 57 किग्रा भार वर्ग में रजत पदक जीता था। भारत के लिये इससे पहले लंदन ओलंपिक 2012 में कुश्ती में सुशील कुमार ने रजत और योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक हासिल किया था। 

सेमीफाइनल में हाजी अलीव के खिलाफ बजरंग को अपने कमजोर रक्षण के कारण हार झेलनी पड़ी थी लेकिन शनिवार को अपने रक्षण और आक्रमण का शानदार प्रदर्शन किया तथा नियाजबेकोव की एक नहीं चलने दी जिनसे वह 2019 में विश्व चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में हार गये थे। बजरंग ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं खुश नहीं हूं। यह वो नतीजा नहीं है जो मैंने हासिल करने के लिये निर्धारित किया था। 

ओलंपिक पदक जीतना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है लेकिन मैं कांस्य पदक के साथ खुशी से नहीं उछल सकता। ’’ बजरंग को पहला अंक नियाजबेकोव की निष्क्रियता के कारण मिला। उन्होंने पहले पीरियड में 2-0 की बढ़त बनायी। बजरंग ने हमले जारी रखे इसका परिणाम यह रहा कि उन्होंने जल्द ही 6-0 की मजबूत बढ़त हासिल कर ली। इसके बाद उनके लिये जीत हासिल करना आसान रहा। 

नियाजबेकोव रेपाशेज राउंड जीतकर कांस्य पदक के मुकाबले में पहुंचे थे। लेकिन गोल्फ में अदिति मामूली अंतर से पदक से चूक गयी। वह खराब मौसम से प्रभावित चौथे दौर में तीन अंडर 68 का स्कोर करके चौथे स्थान पर रही। अदिति का कुल स्कोर 15 अंडर 269 रहा। ओलंपिक में ऐतिहासिक पदक के करीब पहुंची अदिति ने सुबह दूसरे नंबर से शुरुआत की थी लेकिन वह पिछड़ गई। सौ बरस बाद गोल्फ की वापसी वाले रियो ओलंपिक में 41वें स्थान पर रही अदिति ने हालांकि आशातीत प्रदर्शन किया है। 

आखिरी दौर में उन्होंने पांचवें, छठे, आठवें, 13वें और 14वें होल पर बर्डी बनायी तथा नौवें और 11वें होल में बोगी की। भारत की दीक्षा डागर संयुक्त 50वें स्थान पर रही जिन्होंने आखिरी दौर में एक अंडर 70 और कुल छह ओवर 290 स्कोर किया।

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