नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक में अगर कोविड-19 के कारण हॉकी के फाइनल में पहुंची किसी टीम को बाहर होना पड़ता है तो सेमीफाइनल में उससे हारने वाली प्रतिद्वद्वी को स्वर्ण पदक मुकाबले में खेलने का मौका मिलेगा। रविवार को जारी किये गये खेलों के खेल-विशिष्ट नियमों (एसएसआर) में यह चीज स्पष्ट की गयी है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) और अंतरराष्ट्रीय महासंघों (आईएफ) ने मिलकर एसएसआर बनाये हैं जो कोविड-19 के पॉजिटिव आने से पड़ने वाले असर और टूर्नामेंट के प्रारूप में इसके प्रबंधन को निर्धारित करने के लिये बनाये गये हैं।
इन नियमों के अनुसार, ‘‘हॉकी में टीम अगर कोविड-19 के कारण भाग नहीं ले पाती हैं तो वे ‘डिस्क्वालीफाई’ नहीं होंगी बल्कि उन्हें डीएनएस (शुरूआत नहीं कर पायीं) चिन्हित किया जायेगा। अगर नॉकआउट चरण में कोई टीम कोविड-19 के कारण हिस्सा नहीं ले पाती है तो उनकी हासिल की गयी न्यूनतम रैंकिंग को सुरक्षित रखा जायेगा और समय के हिसाब को देखते हुए उनकी प्रतिद्वंद्वी अगले दौर में पहुंच जायेगी।’’
इसके अनुसार, ‘‘अगर कोई टीम फाइनल में हिस्सा नहीं ले पाती है तो कोविड-19 से प्रभावित होने वाली टीम द्वारा हारने वाली टीम को फाइनल में खेलने की अनुमति मिल जायेगी और वह स्वर्ण पदक के लिये खेलेगी।’’
इसके मुताबिक, ‘‘सेमीफाइनल में दूसरी हारने वाली टीम को कांस्य पदक दिया जायेगा।’’
हालांकि इन नियमों में फाइनल में पहुंची दोनों टीमों के पॉजिटिव आने की संभावित स्थिति का जिक्र नहीं किया गया है। इसमें यह भी नहीं बताया गया है कि कोविड-19 के कारण अगर सेमीफाइनल में हारने वाली टीम भी प्रभावित होती है तो क्या किया जायेगा।
भारत पुरूष और महिला दोनों हॉकी स्पर्धाओं में हिस्सा ले रहा है। पिछले महीने आईओसी कार्यकारी समिति ने इन नियमों को बनाने के लिये सभी खेलों में निरंतरता के रखने के मद्देनजर तीन मुख्य सिद्धांत रेखांकित किये।
अगर कोई खिलाड़ी या टीम प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाती है तो किसी खिलाड़ी या टीम को कोविड-19 के कारण ‘डिस्क्वालीफाई’ नहीं किया जायेगा बल्कि डीएनएस लिखा जायेगा। टूर्नामेंट के चरण को ध्यान में रखते हुए किसी खिलाड़ी या टीम का न्यूनतम नतीजा सुरक्षित रखा जायेगा।
इसके अलावा जब कोई एथलीट या टीम नहीं खेल पाती है तो उनकी जगह अगले सर्वश्रेष्ठ एथलीट या टीम को उतारा जायेगा।