नई दिल्ली। भारत की महिला पहलवान विनेश फोगाट ने विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए कोटा हासिल कर लिया है। खेलों के महाकुंभ के लिए कोटा मिलने के बाद विनेश की आंखों में सुकून था और एक चमक भी, लेकिन चार साल पहले विनेश की इन्हीं आंखों में आंसू भी थे।
दरअसल, रियो ओलम्पिक-2016 में क्वार्टर फाइनल में विनेश का मुकाबला चीन की सुन यानान से था, लेकिन घुटने में चोट के कारण विनेश मैच हार गई थीं और ओलम्पिक पदक जीतने का उनका सपना टूट गया था।
इस चोट से उबरने में उन्हें समय लगा और इस दौरान उनके दिमाग में कई बार यह ख्याल भी आया कि क्या वे कभी ओलम्पिक खेल भी पाएंगी? विनेश ने हालांकि कड़ी मेहनत से वापसी की और बदले हुए भारवर्ग (53 किलोग्राम) के साथ विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के माध्यम से ओलम्पिक कोटा हासिल किया।
कोटा मिलने के बाद विनेश ने राहत की सांस ली। वह ऐसा महसूस कर रही थीं कि उनके ऊपर से बोझ उतर गया। अब विनेश अपने चार साल पहले अधूरे रह गए सपने को दोबारा जीने के लिए तैयार हैं।
विनेश ने आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में कहा, "उम्मीद नहीं थी कि मैं वहां से निकल कर ओलम्पिक तक चली जाऊंगी। उस चोट के बाद भी कई बार लगता था कि मैं ओलम्पिक खेल भी पाऊंगी या नहीं। मेरे लिए पूरा साल मानसिक तौर पर काफी मुश्किल रहा है। मैं सोचती थी कि मैंने भारवर्ग बदला है और ओलम्पिक पास में है, ऐसे में मैंने सही किया है या नहीं।"
विनेश ने कहा, "मेरे दिमाग में हमेशा चलता रहता था कि जो ओलम्पिक पदक छूट गया था वो किसी भी हाल में चाहिए। उसी के लिए प्रयास करना होगा। मैं कई बार ट्रेनिंग में भी थक जाती हूं तो सोचती हूं कि ओलम्पिक पदक चाहिए तो मेहनत जारी रखना होगा। वो फ्रस्ट्रेशन रहता था। जब कोटा मिला तो लगा कि मेरे ऊपर से बोझ हट गया। अब जो अधूरा सपना रह गया था उस पर काम करने का वक्त है।"
विनेश ने रेपचेज कांस्य पदक मुकाबले में दो बार की विश्व कांस्य पदक विजेता ग्रीस की मारिया प्रेवोलार्की को 4-1 हराकर कांस्य पदक जीता। विनेश ने इस चैम्पियनशिप में क्वालिफिकेशन में रियो ओलम्पिक की पदक विजेता स्वीडन की सोफिया मैटसन को 13-0 के बड़े अंतर से शिकस्त। प्री क्वार्टर फाइनल में जापान की मायु मुकाइदा ने विनेश को 7-0 से हरा दिया।
विनेश बेशक सफलता अर्जित करके लौटीं हों लेकिन वो जानती हैं कि उन्होंने कितनी गलतियां की हैं।
राष्ट्रमंडल खेलों की विजेता ने कहा, "नया भारवर्ग है। इसमें मुझे अभी और काम करना है। मैंने 10 महीने पहले ही भारवर्ग बदला है और विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीता है, लेकिन मैंने फिर भी काफी गलतियां की हैं। ओलम्पिक में कोई चांस नहीं रहता। वहां आप गलती करते हो बाहर जाते हैं। यहां भी मैंने गलतियां कीं। अगर नहीं करतीं तो कांस्य शायद स्वर्ण या रजत में बदल सकता था। चाहूंगी की वो गलतियां ओलम्पिक में न हो। यहां कोटा अहम था जो मिल गया है।
विनेश हालांकि जो मिला उससे खुश हैं, "मुझे जो मिला मैं उससे संतुष्ट हूं क्योंकि मुझे लगता है कि आप जितनी मेहनत करते हैं तो भगवान आपको उतना ही या वैसे ही फल देता है।"
विनेश जानती हैं कि अगर उन्हें ओलम्पिक में पदक जीतना है तो नए भारवर्ग में अपने आप को कहां मजबूत करना है। उन्होंने कहा, "तकनीकी तौर पर मैंने काफी गलतियां की हैं। नया भारवर्ग है तो कुछ समझ में नहीं आता। मुझे इस नए भारवर्ग में अपनी स्ट्रैंग्थ पर काम करना है। यहां मुझे और स्मार्ट खेल खेलना होगा।"
चोटों से घिरी रहने वाली विनेश जानती है कि चोट और खिलाड़ी का चोली दामन का साथ है। साथ ही वह इस बात से वाकिफ हैं कि अब लोगों को उनसे उम्मीदें बढ़ गई हैं, लेकिन वह सकारात्मक हैं।
एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने वाली इस खिलाड़ी ने कहा, "मैं काफी सकारात्मक हूं। ओलम्पिक नाम ही काफी बड़ा है। इसका हर खिलाड़ी पर दवाब होता है। लोगों को आपसे उम्मीद तब ही होती है जब उन पर आपको भरोसा है। तो मैं इस भरोसे को आशीर्वाद मान कर आगे बढूंगी।
विश्व चैम्पियन के बाद विनेश घर लौट चुकी हैं लेकिन उन्होंने किसी को बताया नहीं है। उनकी तबीयत भी नासाज है वह भीड़भाड़ से दूर रहकर कुछ आराम करना चाहती हैं और फिर अपने ओलम्पिक मिशन के लिए निकलना चाहती हैं।
विनेश ने हंसते हुए कहा, "मैं बिना बताए चुपके से घर पर आई हूं। मैं कुछ दिन आराम करना चाहती हूं। लोग-बाग मैसेज वगैरह से बधाई भी दे रहे हैं। मैं जवाब भी दे रहीं हूं लेकिन मैं अभी किसी से मिलना नहीं चाहती। मैं आराम करना चाहती हूं मेरी तबियत भी खराब है। पिछला साल काफी थकान भरा था। अब उन सभी चीजों से आराम मिला तो मैं इसका लुत्फ उठाना चाहती हूं।"
विनेश ने बात को खत्म करते हुए कहा, "इसके बाद नई शुरुआत करूंगी और यह नई शुरुआत सिर्फ ओलम्पिक पदक के लिए होगी।"