Monday, November 25, 2024
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लिस्बन के कोच ने छेत्री से कहा था, तुम शीर्ष टीम के लायक नहीं हो, ‘बी’ टीम में चले जाओ

छेत्री ने इंडियनसुपरलीग.कॉम से कहा, ‘‘एक सप्ताह के बाद मुख्य कोच ने मुझसे कहा, ‘तुम बहुत अच्छे खिलाड़ी नहीं हो, बी टीम में चले जाओ।’ 

Reported by: Bhasha
Published on: April 19, 2020 20:28 IST
The Lisbon coach told Chhetri, you don't deserve the top team, go to the 'B' team- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGES The Lisbon coach told Chhetri, you don't deserve the top team, go to the 'B' team
नई दिल्ली। भारतीय फुटबॉल टीम के करिश्माई कप्तान सुनील छेत्री जब 2012 में स्पोर्टिंग लिस्बन की टीम से जुड़े थे तो उन्हें उसके मुख्य कोच ने कहा था कि, ‘तुम शीर्ष टीम में जगह बनाने लायक नहीं हो, बी टीम में चले जाओ।’ छेत्री तब 26 साल के थे और उन्हें पुर्तगाल के इस क्लब ने तीन साल के लिये अनुबंधित किया था लेकिन वह नौ महीने बाद ही स्वदेश लौट गये थे। 
 
छेत्री ने इंडियनसुपरलीग.कॉम से कहा, ‘‘एक सप्ताह के बाद मुख्य कोच ने मुझसे कहा, ‘तुम बहुत अच्छे खिलाड़ी नहीं हो, बी टीम में चले जाओ।’ वह सही था। मैं भारतीय लीग में खेल रहा था और उनकी तुलना में स्पोर्टिंग लिस्बन की ‘ए’ टीम की गति बहुत तेज थी।’’ 
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैं नौ महीने वहां रहा और इस बीच मुझे पांच मैच खेलने को मिले जिनमें मैं एक भी गोल नहीं कर पाया। करार में हटाये जाने पर 40 या 50 लाख का प्रावधान था। मैं तीन साल तक वहां रह सकता था लेकिन मैंने कोच से कहा कि मैं भारत लौटना चाहता हूं और किसी को इस राशि का भुगतान करने की जरूरत नहीं। उनका रवैया वास्तव में बहुत अच्छा था।’’ 
 
 
छेत्री का पहला विदेशी अनुबंध हालांकि अमेरिका के कन्सास सिटी विजार्ड्स से था जिससे वह 2010 में जुड़े थे। मेजर लीग सॉकर में भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी और वह एक साल के अंदर स्वदेश लौट आये। उन्हें उसकी शीर्ष टीम से केवल एक मैच खेलने को मिला। उन्होंने एमएलएस में कोई मैच नहीं खेला। 
 
छेत्री ने कहा, ‘‘मैंने छह सात मैत्री मैच खेले, दो हैट्रिक बनायी और एक बार दो गोल किये और मुझे लगा कि मैं शुरुआत करने जा रहा हूं। लेकिन हम 4-2-3-1 के प्रारूप में खेलते थे और केवल एक स्ट्राइकर केई कमारा खेलता था। वह अफ्रीकी था और मुझ पर उसे हमेशा प्राथमिकता दी जाती थी। इसलिए मुझे पहले चार-पांच मैचों में मौका नहीं मिला। मैं बहुत दुखी था। मुझे बाहर बैठने की आदत नहीं थी। मैं परेशान रहने लगा था।’’ 
 
छेत्री वर्तमान समय के खिलाड़ियों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक गोल करने वालों की सूची में दूसरे नंबर पर हैं। उनके नाम पर 72 गोल हैं। जब छेत्री अमेरिका में थे तब भारत के तत्कालीन मुख्य कोच बॉब हॉटन ने उनसे दोहा में 2011 में खेले गये एशियाई कप के लिये राष्ट्रीय टीम से जुड़ने के लिये कहा।
 
 
वह भारत लौट गये और फिर कन्सास नहीं गये। कन्सास सिटी से पहले छेत्री का इंग्लैंड की टीम क्वीन्स पार्क रेंजर्स से 2009 में अनुबंध हुआ था लेकिन फुटबॉल एसोसिएशन ने उन्हें ‘वर्क परमिट’ देने से इन्कार कर दिया क्योंकि भारत की रैंकिंग काफी कम थी। छेत्री निराश थे लेकिन जल्द ही इससे उबर गये थे।

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