दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने गुरुवार को संकेत दिये कि चयनसमिति ने जरूरत से ज्यादा नामों की सिफारिश करके राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की गरिमा को खतरे में डाला है। चयनसमिति ने इस बार खेल रत्न के लिये पांच और अर्जुन पुरस्कार के लिये 29 खिलाड़ियों के नाम की सिफारिश की है जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस स्टार पहलवान ने सीधे शब्दों में नहीं कहा लेकिन संकेत दिये कि इतने अधिक खिलाड़ियों को पुरस्कार देने से इनकी गरिमा कम होगी। उन्होंने कहा कि इन पुरस्कारों से जुड़े गौरव को बनाये रखना जरूरी है।
सुशील ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘जिनको नामित किया गया है मैं उन्हें बधाई देता हूं लेकिन मुझे लगता है कि इन राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की गरिमा बनाये रखने की तरफ काम करना चाहिए। यह ओलंपिक वर्ष भी नहीं है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं भी एक खिलाड़ी हूं और मैं सभी के लिये खुश हूं लेकिन हमें इन पुरस्कारों से जुड़े गौरव को बनाये रखना होगा। ’’ इससे पहले 2016 में सरकार ने रियो ओलंपिक के प्रदर्शन के आधार पर चार खिलाड़ियों बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू, पहलवान साक्षी मलिक, जिम्नास्ट दीपा करमाकर और निशानेबाज जीतू राय को खेल रत्न पुरस्कार दिया था।
इस बार क्रिकेटर रोहित शर्मा, पहलवान विनेश फोगाट, महिला हॉकी खिलाड़ी रानी रामपाल, टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा और रियो पैरालंपिक के स्वर्ण पदक विजेता ऊंची कूद के एथलीट मरियप्पन थंगवेलु का नाम खेल रत्न पुरस्कार के लिये भेजा गया है जबकि अर्जुन पुरस्कार के लिये 29 खिलाड़ियों के नाम की सिफारिश की गयी है।
बीजिंग ओलंपिक 2008 में कांस्य और लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक जीतने वाले सुशील ने कहा कि यह उनकी समझ से परे है कि जिन खिलाड़ियों को पहले ही देश का सर्वोच्च खेल पुरस्कार मिल चुका है उनके नाम पर उससे छोटे पुरस्कार के लिये विचार क्यों किया गया।
साक्षी मलिक और मीराबाई चानू को पूर्व में खेल रत्न मिल चुका है और उन्होंने इस साल अर्जुन पुरस्कार के लिये आवेदन किया और समिति ने उनके नामों की सिफारिश की है। सुशील ने कहा, ‘‘यही नहीं यहां तक जिस प्रदर्शन के आधार पर पहले खिलाड़ी को कोई पुरस्कार मिल चुका है उस पर फिर से विचार किया गया। ’’
सुशील फिर से ओलंपिक में अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं और छत्रसाल स्टेडियम में अभ्यास कर रहे हैं।