नई दिल्ली। अखिल भारतीय टेनिस महासंघ (एआईटीए) एशियाई खेलों के पदक विजेता अंकिता रैना और दिविज शरण को अर्जुन पुरस्कार के लिये नामांकित करेगा जबकि पूर्व डेविस कप कोच नंदन बाल के नाम की सिफारिश ध्यानचंद पुरस्कार के लिये करेगा। अंकिता (27 वर्ष) ने 2018 एशियाई खेलों में महिला वर्ग का कांस्य पदक जीता था, उन्होंने फेड कप में भी शानदार प्रदर्शन दिखाया और भारत के पहली बार विश्व ग्रुप प्ले आफ के लिये क्वालीफाई करने में अहम भूमिका अदा की थी।
दिल्ली के खिलाड़ी शरण ने जकार्ता में हमवतन जोड़ीदार रोहन बोपन्ना के साथ पुरूष युगल स्पर्धा का स्वर्ण पदक हासिल किया था। वह अक्टूबर 2019 में भारत के शीर्ष युगल खिलाड़ी बन गये थे लेकिन बाद में बोपन्ना ने फिर यह स्थान हासिल कर लिया।
34 साल के इस खिलाड़ी ने 2019 सत्र में दो एटीपी खिताब भी जीते थे जिसमें बोपन्ना के साथ पुणे में टाटा ओपन महाराष्ट्र और इगोर जेलेने के साथ सेंट पीटर्सबर्ग में ट्राफी शामिल थी। एआईटीए के महासचिव हिरण्मय चटर्जी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ ये खिलाड़ी इस साल के अर्जुन पुरस्कार के लिये योग्य और इसके हकदार हैं। हम इनके नाम की सिफारिश करेंगे।’’
अंकिता 2018 फेड कप के दौरान अपने बेहतरीन प्रदर्शन से सुर्खियों में आयी थीं जिसमें वह एकल में एक भी मैच नहीं हारी थीं। इसके बाद से वह डब्ल्यूटीए और आईटीएफ सर्किट में भारत की सर्वश्रेष्ठ एकल खिलाड़ी बन गयीं और इस साल मार्च में उन्होंने करियर की सर्वश्रेष्ठ एकल रैंकिंग 160 हासिल की। इस साल के फेड कप में अंकिता ने पांच दिन के अंदर आठ मैच खेले जिसमें से दो एकल और अनुभवी स्टार खिलाड़ी सानिया मिर्जा के साथ मिलकर तीन अहम युगल मुकाबले जीते जिससे भारत पहली बार प्ले आफ के लिये क्वालीफाई करने में सफल रहा।
बोपन्ना अंतिम टेनिस खिलाड़ी थे जिन्होंने 2018 में अर्जुन पुरस्कार जीता था। एआईटीए हालांकि अब भी विचार कर रहा है कि बाल का नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार या फिर ध्यानचंद पुरस्कार के लिये भेजा जाये।
चटर्जी ने कहा, ‘‘हम विचार कर रहे हैं कि नंदन के लिये कौन सा वर्ग सही होगा। ’’ एआईटीए में विश्वस्त सूत्रों ने हालांकि पीटीआई-भाषा को बताया कि बाल का आवेदन ध्यानचंद पुरस्कार के लिये भेजा जायेगा। बाल (60 वर्ष) 1980 से 1983 तक डेविस कप में खेले थे और वह कई वर्षों तक भारत के डेविस कप कोच रहे। अभी तक केवल तीन टेनिस खिलाड़ियों को ध्यानचंद पुरस्कार से नवाजा गया है जिसमें जीशान अली (2014), एस पी मिश्रा (2015) और नितिन कीर्तने (2019) शामिल हैं। किसी भी टेनिस कोच को द्रोणाचार्य पुरस्कार नहीं मिला है।