मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार हासिल करने वाले पहले भारतीय फुटबॉलर सुनील छेत्री ने शनिवार को कहा कि शीर्ष स्तर पर इतने लंबे समय तक खेलने के कारण ही उन्हें देश के शीर्ष खेल सम्मान से नवाजा गया। भारतीय कप्तान छेत्री ने 2002 में अपना पेशेवर करियर मोहन बागान क्लब से शुरू किया और 2005 में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया।
37 साल के इस खिलाड़ी ने शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से खेल रत्न पुरस्कार हासिल किया। छेत्री ने कहा, "मुझे खेल रत्न पुरस्कार मिलने का एक मुख्य कारण है कि मैं 19 साल से खेल रहा हूं। इसके लिये मैं प्रत्येक मालिशिये, फिजियो और डाक्टर का शुक्रिया करना चाहूंगा। आप सभी ‘सुपरस्टार’ की वजह से ही मैं मैदान पर खेल सका।"
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) द्वारा जारी बयान के अनुसार उन्होंने कहा, "कई बार ऐसा भी समय आया जब मुझे लगा कि मैं नहीं कर सकता, लेकिन आप लोगों ने मेरे लिये यह संभव कराया।"
छेत्री ने उन क्लबों का भी शुक्रिया अदा किया जिनके लिये वह खेल चुके हैं, साथ ही उन्होंने क्लबों और राष्ट्रीय टीम दोनों के साथियों, प्रशंसकों और अपने परिवार का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, "इतने वर्षों तक आप मेरे साथ सब कुछ सहन करते रहे, मेरे साथ खुशी मनाते रहे, आप मेरे उतार चढ़ाव में हमेशा मेरे साथ थे, आपने मेरे साथ सपने देखे और मैं बहुत खुशी से यह पुरस्कार हर एक के साथ साझा करता हूं।"
छेत्री देश के लिये सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं और सबसे ज्यादा गोल कर चुके हैं। 125 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 80 गोल करने के बाद वह सक्रिय खिलाड़ियों में गोल की संख्या में अर्जेंटीना के सुपरस्टार लियोनल मेस्सी के बराबर हैं। वह उन चुनिंदा भारतीय फुटबॉलरों में से एक हैं जिन्हें पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार मिल चुका है।
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एआईएफएफ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने छेत्री को खेल रत्न से नवाजे जाने पर बधाई दी। उन्होंने कहा, "बधाई। सुनील से ज्यादा कोई इसका हकदार नहीं है। वह भारतीय फुटबॉल के लिये ध्वजवाहक और आदर्श रहे हैं, जिन्होंने अपने देश और अपने सभी क्लबों के लिये इतनी सारी उपलब्धियां हासिल की हैं। मैं भविष्य के लिये उन्हें शुभकामनायें देता हूं।" एआईएफएफ महासचिव कुशल दास ने भी उन्हें बधाई दी।