Friday, December 27, 2024
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बजरंग का खुलासा, टोक्यो से पहले चोट के चलते नहीं कर पाए थे 20-25 दिन प्रैक्टिस

भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने रविवार को कहा कि घुटने की चोट के कारण वह लगभग तीन सप्ताह तक मैट (अभ्यास) से दूर रहे थे जिससे ओलंपिक की उनकी तैयारियां प्रभावित हुई।

Reported by: Bhasha
Published : August 08, 2021 14:02 IST
बजरंग का खुलासा,...
Image Source : GETTY IMAGES बजरंग का खुलासा, टोक्यो से पहले चोट के चलते नहीं कर पाए थे 20-25 दिन प्रैक्टिस

नई दिल्ली। भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने रविवार को कहा कि घुटने की चोट के कारण वह लगभग तीन सप्ताह तक मैट (अभ्यास) से दूर रहे थे जिससे ओलंपिक की उनकी तैयारियां प्रभावित हुई और शनिवार को कांस्य पदक के मुकाबले के लिए सहयोगी सदस्यों की सलाह के उलट वह घुटने पर पट्टी लगाये बिना आये थे। बजरंग ने तोक्यो खेलों से पहले आखिरी रैंकिंग प्रतियोगिता पोलैंड ओपन में भाग नहीं लिया था। उनका तर्क था कि उन्हें अंकों से अधिक अभ्यास की आवश्यकता थी। वह अभ्यास के लिए रूस गए, जहां एक स्थानीय टूर्नामेंट में उनका दाहिना घुटना चोटिल हो गया। अली अलीएव टूर्नामेंट में 25 जून को अंडर-23 यूरोपीय रजत पदक विजेता अबुलमाजिद कुदिएव के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान उनके घुटने में चोट लग गयी थी।

बजरंग अपने शुरुआती मुकाबलों में उस तरह की लय में नहीं दिखे जिसके लिए वह जाने जाते है। कांस्य पदक के मुकाबले में कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव के खिलाफ हालांकि उनकी वही रणनीति और आक्रामक खेल को देखने को मिला।  उन्होंने 8-0 से जीत दर्ज कर कांस्य पदक अपने नाम किया। बजरंग ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘‘ मैं करीब 25 दिनों तक मैट ट्रेनिंग नहीं कर सका। मैं चोट के बाद भी ठीक से नहीं चल पा रहा था। ओलंपिक जैसे टूर्नामेंट से पहले एक दिन की ट्रेनिंग से चूकना भी सही नहीं होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे कोच और फिजियो चाहते थे कि मैं कांस्य मुकाबले में घुटने पर पट्टी बांधकर उतरूं, लेकिन मैं सहज महसूस नहीं कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि किसी ने मेरा पैर बांध दिया है, इसलिए मैंने उनसे कहा कि अगर चोट गंभीर हो जाए तो भी मैं बाद में आराम कर सकता हूं लेकिन अगर मैं अब पदक नहीं जीत पाया तो सारी मेहनत बेकार हो जाएगी। इसलिए मैं बिना पट्टी के ही मैट पर उतरा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ चिकित्सक चाहते थे कि मैं इलाज के लिए भारत वापस आऊं (रूस से) लेकिन मैंने उनसे कहा कि यात्रा के दौरान वायरस (कोविड-19) के संपर्क में आने के खतरे के कारण यह संभव नहीं है।’’ बजरंग ने कहा, ‘‘ मैंने रूस के उस छोटे से गांव में अपना रिहैबिलिटेशन (चोट से उबरने की प्रक्रिया) पूरा किया और मॉस्को में भारतीय दूतावास की मदद से मुझे सभी आवश्यक उपकरण प्राप्त हुए।’’ बजरंग से जब पूछा कि उन्होंने पोलैंड ओपन में भाग नहीं लेने का फैसला करने  के बाद वह स्थानीय टूर्नामेंट में क्यों गये? उन्होंने कहा कि वह खुद को परखना चाहते थे।

बजरंग ने कहा, ‘‘ चोट तो अभ्यास के दौरान भी लग सकती है, और ज्यादातर चोटें ट्रेनिंग के दौरान ही लगती हैं क्योंकि टूर्नामेंट में आपका ध्यान पूरी तरह से खेल पर होता हैं। प्रशिक्षण में आप बहुत सी अलग-अलग चीजें करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे देखना था कि तैयारी के मामले में मेरी स्थिति क्या है। इसलिए मुझे प्रतिस्पर्धा करनी पड़ी।’’ इस 27 वर्षीय पहलवान ने कहा कि वह पेरिस खेलों तक 65 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा करना जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘74 किग्रा में जाने की कोई गुंजाइश नहीं है। अगले साल हमारे पास राष्ट्रमंडल और एशियाई खेल हैं। मैं अब स्वर्ण पदक से चूक गया हूं, लेकिन अपनी कमजोरियों पर काम करूंगा और पेरिस में शीर्ष पर पहुंचने की कोशिश करूंगा।’’ बजरंग ने कहा कि वह स्वदेश लौटने के बाद रिहैबिलिटेशन शुरू करेंगे और दो से 10 अक्टूबर तक नॉर्वे के ओस्लो में होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए तैयारी करेंगे। 

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