नई दिल्ली| भारतीय निशानेबाजों ने लॉकडाउन के बीच निशानेबाजी से जुड़े रहने का तरीका ढूंढ लिया है लेकिन 70 से अधिक देशों में निशानेबाजी से जुड़ा सामान निर्यात करने वाली भारतीय कंपनी बुरे समय से गुजर रही है और कोरोना वायरस महामारी के कारण सभी प्रतियोगिताएं रद्द होने से स्थिति काफी नजर नहीं आ रही। केपेपाई स्पोर्ट्स इक्विपमेंट्स के संस्थापक नीलेश राणे के लिए यह अच्छा समय नहीं है। उनकी कंपनी ने वर्षों की मेहनत के बाद राइफल निशानेबाजों के लिए विश्व स्तरीय जैकेट, ट्राउजर, जूते और हाथ के दस्ताने बनाने वाली कंपनी के रूप में प्रतिष्ठा हासिल की थी।
स्वयं राष्ट्रीय स्तर के राइफल निशानेबाज रहे राणे हालांकि मुश्किल समय में भी आशावादी हैं और समय के साथ चीजें बेहतर होने से उनकी कंपनी भी इस स्थिति से उबर जाएगी। राणे ने पीटीआई को बताया, ‘‘राजस्व पर असर पड़ा है।’’ दुनिया भर में लॉकडाउन की स्थिति और अन्य पाबंदियों के कारण राणे अपना सामान उन देशों में निर्यात नहीं कर पा रहे हैं जहां के निशानेबाज आम तौर पर उन पर निर्भर रहते हैं। राणे ने कहा, ‘‘सभी चीजें पूरी तरह से रुक गई हैं। बेशक यूरोप में खराब स्थिति के कारण निर्माण और निर्यात पर असर पड़ा है।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रमुख निर्माता थे, दुनिया का प्रमुख ब्रांड। जब जैकेट, ट्राउजर, ग्लव्स और जूतों की बात आती थी तो शीर्ष निशानेबाज हमारे से ही सामान खरीदते थे।’’ कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में एक लाख 60 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और सभी तरह के छोटे-बड़े टूर्नामेंटों को स्थगित या रद्द कर दिया गया है। कोरोना वायरस से दुनिया भर में 20 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ ने हाल में इस साल होने वाली अपनी सभी प्रतियोगिताओं को रद्द कर दिया था जिसमें विश्व कप भी शामिल हैं। निशानेबाजों ने हालांकि हाल में ऑनलाइन प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर निशानेबाजी से जुड़ रहने का तरीका ढूंढ लिया। राणे का मानना है कि ऑनलाइन प्रतियोगिता से कुछ आस बंधी है क्योंकि कुछ निशानेबाजों ने केपेपाई निर्मित जैकेट और ट्राउजर पहनकर इसमें हिस्सा लिया था।
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उन्होंने कहा, ‘‘इस समय की नकारात्मकता के बीच यह आनलाइन प्रतियोगिता कुछ सकारात्मक पक्ष थी। यह आनलाइन प्रतियोगिता अच्छी पहल है और जब निशानेबाजों ने हमारे बनाए कपड़े पहने तो हमें काफी खुशी हुई।’’