नई दिल्ली। खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने भारत में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेजबानी का समर्थन करते हुए शुक्रवार को कहा कि ओलंपिक आंदोलन तब तक पूरा नहीं होगा जब तक कि चार साल में एक बार होने वाले इस खेलों को भारत में आयोजित नहीं किया जाएगा। भारतीय उद्योग सम्मेलन द्वारा आयोजित ऑनलाइन सम्मेलन ‘छठे सीआईआई स्कोरकार्ड’ के दौरान रीजीजू ने ओलंपिक की तीन बार मेजबानी करने के लिए ब्रिटेन की सराहना की।
उन्होंने कहा कि भारत को खेलों की महाशक्ति के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए भविष्य में ओलंपिक की मेजबानी करनी होगी। रीजीजू ने कहा, ‘‘ भारत ने खेलों में अभी बड़ा दर्जा हासिल नहीं किया है। खेलों में ओलंपिक सबसे बड़ा आयोजन है। लंदन ने तीन ओलंपिक की मेजबानी की है, तोक्यो ने 1964 में इसकी मेजबानी की है और इस वर्ष वहां फिर से इन खेलों का आयोजन होना है।’’
उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ‘‘ ओलंपिक आंदोलन तब तक पूरा नहीं होगा जब तक भारत ओलंपिक खेलों की मेजबानी नहीं करता है। हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं।’’ इस मौके पर रीजीजू ने अपनी मंत्रालय की दो बड़ी पहलों ‘खेलो इंडिया’ और ‘फिट इंडिया’ कार्यक्रमों का उल्लेख किया। उन्होंने कॉर्पोरेट घरानों से अपने कार्यालयों में ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ शुरू करने की अपील की। रीजीजू ने उद्योग बिरादरी से भारत में खेलों में योगदान देने की भी अपील की।
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उन्होंने कहा, ‘‘ खेल एक बड़ा उद्योग है, अगर हम वास्तव में इसे आगे बढ़ाते हैं, तो यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक बड़ा हिस्सा बन सकता है। खेल हमारे युवाओं को बड़ी दिशा दे सकते हैं। ‘सीआईआई’ खेलों को एक जीवंत उद्योग बनाने में भूमिका निभा सकता है। उद्योग जीडीपी में खेल का हिस्सा क्या होना चाहिए, इसका एक लक्ष्य निर्धारित किया जा सकता है।‘‘ उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन के बाद, दुनिया भर में टूर्नामेंट फिर से शुरू हो गए हैं और सफलतापूर्वक उनका आयोजन हो रहा हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हम इस महीने के अंत में दिल्ली में निशानेबाजी विश्व कप और मई में बैडमिंटन सुपर सीरीज की मेजबानी करेंगे। मैं उद्योग जगत से कहना चाहता हूं कि उन्हें भारत में अंतरराष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के माध्यम से योगदान करना चाहिये।’’
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