Sunday, December 22, 2024
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रवि दहिया : भारतीय कुश्ती के नए ‘पोस्टर बॉय’

पहलवान रवि दहिया को अगर एक या दो शब्दों में बयां करने के लिये कहा जाये तो ‘शांत तूफान’ इसमें फिट बैठेगा।

Reported by: Bhasha
Published : August 07, 2021 23:14 IST
Ravi Dahiya The new 'poster boy' of Indian wrestling
Image Source : GETTY IMAGES Ravi Dahiya The new 'poster boy' of Indian wrestling

नई दिल्ली। पहलवान रवि दहिया को अगर एक या दो शब्दों में बयां करने के लिये कहा जाये तो ‘शांत तूफान’ इसमें फिट बैठेगा। वह जीत या हार के लिये कोई भावनायें व्यक्त नहीं करते, कभी कभी तो संदेह होने लगता है कि उनमें कोई भावना है भी या नहीं। बुधवार को वह ओलंपिक फाइनल में पहुंचकर भारतीय कुश्ती के नये ‘पोस्टर बॉय’ बन गये और इस पर उनकी पहली प्रतिक्रिया थी, ‘हां, ठीक ही है भाईसाहब’। 

अगर वह जीत जाते हैं तो वह खुशी से उछलते नहीं बस मुस्कुरा देते हैं। अगर वह हारते हैं तो वह शांत हो जाते हैं। लेकिन जैसे ही वह कुश्ती के मैट पर पहुंचते हैं, वह खुद को बेहतर ढंग से व्यक्त करने लगते हैं। वह आक्रामक बन जाते हैं। उनके मजबूत हाथों की ताकत और तकनीकी दक्षता के साथ उनका स्टैमिना उन्हें अजेय प्रतिद्वंद्वी बना देता है। उनके रक्षण को तोड़ना और पकड़ को रोकना मुश्किल हो जाता है। और यह सब इसलिये है क्योंकि उन्हें कुश्ती के अलावा किसी अन्य चीज में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्हें नये कपड़े या जूते खरीदने में कोई रूचि नहीं होती, उनके अंकल अनिल ने हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव में दौरे के दौरान पीटीआई को इसके बारे में बताया था। वह अगर बात करते हैं तो बस कुश्ती की।

 उन्हें स्टार पहलवान की तरह दावेदार नहीं माना गया था लेकिन 23 साल के दहिया ने खुद को साबित कर दिया। नूर सुल्तान में 2019 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर तोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने के बाद वह सुर्खियों में आये। वह फिर भी खुश नहीं थे और रूस के जावुर युगुएव से सेमीफाइनल में मिली हार के बारे में ही सोच रहे थे। उन्होंने कहा था, ‘‘मैं क्या कहूं। हां, मैंने ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर लिया लेकिन मेरे सेंटर से ही ओलंपिक पदकधारी निकले हैं। मैं कहीं भी नहीं हूं। ’’ दहिया ने 2015 में अंडर-23 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था जिससे उनकी प्रतिभा की झलक दिखी थी। उन्होंने प्रो कुश्ती लीग में अंडर-23 यूरोपीय चैम्पियन और संदीप तोमर को हराकर खुद को साबित किया। 

दहिया के आने से पहले तोमर का 57 किग्रा वर्ग में दबदबा था। लेकिन कईयों ने कहा कि कुश्ती लीग प्रदर्शन आंकने का मंच नहीं है। इसके बाद 2019 विश्व चैम्पियनशिप में उन्होंने सभी आलोचकों को चुप कर दिया। उन्होंने 2020 में दिल्ली में एशियाई चैम्पियनशिप जीती और अलमाटी में इसी साल खिताब का बचाव किया। उन्होंने पोलैंड ओपन में हिस्सा लिया और केवल एक मुकाबला गंवाया। दहिया दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में प्रशिक्षण लेते हैं जहां से पहले ही भारत को दो ओलंपिक पदक विजेता - सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त - मिल चुके हैं। 

उनके पिता राकेश कुमार ने उन्हें 12 साल की उम्र में छत्रसाल स्टेडियम भेजा था, तब से वह महाबली सतपाल और कोच वीरेंद्र के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग करते रहे हैं। उनके पिता ने कभी भी अपनी परेशानियों को दहिया की ट्रेनिंग का रोड़ा नहीं बनने दिया। वह रोज खुद छत्रसाल स्टेडियम तक दूध और मक्खन लेकर पहुंचते जो उनके घर से 60 किलोमीटर दूर था। वह सुबह साढ़े तीन बजे उठते, पांच किलोमीटर चलकर नजदीक के रेलवे स्टेशन पहुंचते। 

रेल से आजादपुर उतरते और फिर दो किलोमीटर चलकर छत्रसाल स्टेडियम पहुंचते। फिर घर पहुंचकर खेतों में काम करते और यह सिलसिला 12 साल तक चला। कोविड-19 के कारण लॉकडाउन से इसमें बाधा आयी। बेटे के पदक से वह अपना दर्द निश्चित रूप से भूल जायेंगे।

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