लंबे इंतजार के बाद टोक्यो ओलंपिक का आगाज 23 जुलाई से होने जा रहा है। खेलों के इस महाकुंभ में भारत इस बार126 खिलाड़ियों के अपने सबसे बड़े दल के साथ उतरेगा। जाहिर सी बात है ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के इतनी तादाद में सहभागिता होने के साथ पदक की उम्मीद भी बढ़ गई है। भारत ने 1900 से 2016 तक ओलंपिक में कुल 28 पदक जीते हैं, जिसमें 9 गोल्ड, 7 सिल्वर और 12 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। भारतीय खिलाड़ी इस बार इन आंकड़ों में सुधार करना चाहेंगे।
बात बैडमिंटन की करें तो टोक्यो ओलंपिक में इस बार भारत की ओर से पीवी सिंधु, बी साई प्रणीत, सिक्की रेड्डी और चिराग सेट्ठी की जोड़ी हिस्सा ले रही है। इसमें पीवी सिंधु से हर किसो को पदक की उम्मीद रही थी। पिछली बार रियो ओलंपिक में तो वह गोल्ड से चूक गई थी, मगर इस बार उनकी नजरें गोल्ड पर होगी।
पीवी सिधुं ने 2016 के रियो ओलंपिक के फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन स्पेनिश खिलाड़ी कैरोलिना मारिन के हाथों मिली करारी हार के बाद उन्हें सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा था।
मगर इसके बाद सिंधु के खेल में निखार देखने को मिला और उन्होंने देश विदेश में कई खिताब अपने नाम किए। रियो ओलंपिक के बाद उन्होंने थाईहोट चाइना ओपन जीता और वह यह टूर्नामेंट जीतने वाली साइना नेहवाल के बाद दूसरी भारतीय खिलाड़ी बनी। सिंधु यहीं नहीं रुकी 2017 में उन्होंने सैयद मोदी इंटरनेशनल और इंडिया ओपन सुपर सीरीज जैसे टूर्नामेंट भी जीते और वह इसके बाद उन्होंने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ दूसरी रैंक भी हासिल की। इस साल वह कोरियन ओपन जीतने वाली भी पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं।
सिंधु ने इतने टूर्नामेंट जीते, लेकिन उनकी बदकिस्मती ने उनका साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने जीतने टूर्नामेंट जीते उससे ज्यादा बार वह टूर्नामेंट के फाइनल या सेमीफाइनल में पहुंचकर हारी। 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भी यही हुआ जब सिंधु को फाइनल में हारने के बाद सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। फाइनल में हारने का उनका सिलसिला थाइलैंड ओपन में भी जारी रहा जब उन्हें नोज़ोमी ओकुहारा के हाथों पराजित होना पड़ा।
सिंधु का यह जिंक्स 2021 के स्विस ओपन तक जारी रहा, लेकिन अब उनकी नजरें टोक्यो ओलपिंक में इसको तोड़ने पर होगी। सिंधु इस महाकुंभ में पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रचना चाहेगी।