तोक्यो। जर्मनी को हराकर 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पुरूष हॉकी टीम के ऑस्ट्रेलियाई कोच ग्राहम रीड ने गुरूवार को कहा कि भारत में हॉकी के पुनरोद्धार का हिस्सा बनना उनके लिये सौभाग्य की बात है। बार्सीलोना ओलंपिक 1992 में रजत पदक जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा रहे रीड 2019 में भारत के कोच बने थे। उन्होंने ओलंपिक जैसे मंच पर अच्छे नतीजे के लिये प्रक्रिया और युवाओं पर विश्वास पर हमेशा जोर दिया।
रीड ने कहा ,‘‘ यह अद्भुत अहसास है। इस टीम ने इसके लिये कई बलिदान दिये हैं ।’’ कोरोना काल में अपने परिवार से दूर रहने और कुछ खिलाड़ियों के कोरोना संक्रमित होने का भी हवाला देते हुए उन्होंने कहा ,‘‘ जहां ये खिलाड़ी पहुंचे हैं, वहां तक पहुंचने में काफी समय लगता है । कई बलिदान जिनके बारे में किसी को पता भी नहीं होता ।’’ रीड ने कहा ,‘‘ देश के साथ साथ यह टीम भी लंबे समय से पदक का इंतजार कर रही थी । मुझे पता है कि भारत के लिये हॉकी के क्या मायने हैं और इसका हिस्सा बनकर मैं बहुत खुश हूं ।’’ भारतीय टीम एक समय 1-3 से पीछे थी और रीड ने कहा कि उन्होंने खिलाड़ियों को वापसी की उम्मीद कभी नहीं छोड़ना सिखाया है।
उन्होंने कहा ,‘‘ मैच से पहले मैने उनसे कहा था कि कुछ होता है तो अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से भी बेहतर करना है । मसलन अगर आप पिछडते हो तो खेल का एक अलग ही स्तर दिखाना होगा और उन्होंने वही किया ।’’ रीड ने कहा ,‘‘ मैच पूरा होने तक कभी पूरा नहीं होता । इस टीम की यही खूबी है कि हार माने बिना इसने वापसी की कोशिश की।’’
उन्होंने जर्मनी के वार झेलने वाले गोलकीपर पी आर श्रीजेश की खास तौर पर तारीफ करते हुए कहा ,‘‘गोल के सामने श्रीजेश जैसा खिलाड़ी होना अच्छी बात है । शुक्र है कि हमें शूटआउट में नहीं जाना पड़ा। वह भारतीय हॉकी का धुरंधर है। उसने काफी मेहनत की है और तभी यहां तक पहुंचा।’’ उन्होंने खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण के प्रयासों की भी सराहना की।