ओलंपिक पदक के लिए भारत के सबसे मजबूत दावेदारों में से एक माने जाने वाले भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने रविवार को कहा कि इन खेलों से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं की कमी के कारण उनकी तैयारी काफी चुनौतीपूर्ण रही है लेकिन वह इस बड़े आयोजन के लिए सकारात्मक रहने की कोशिश कर रहे हैं।
चोपड़ा ने कहा कि 23 जुलाई को शुरू होने वाले खेलों से पहले एक अवसर (प्रतियोगिता) को छोड़कर, उन्हें विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा की ‘स्वाभाविक भावना’ की कमी खल रही है। उन्होंने जिस एक प्रतियोगिता का जिक्र किया वह 26 जून को फिनलैंड में कुओर्टेन खेलों का आयोजन था। चोपड़ा ने इसमें 86.79 मीटर के प्रदर्शन के साथ कांस्य पदक जीता था।
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इस प्रतियोगिता में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने के दावेदार जर्मनी के जोहान्स वेटर ने 93.59 मीटर की दूरी के साथ स्वर्ण जीता था। चोपड़ा ने स्वीडन के उपसाला में अपने प्रशिक्षण केंद्र से ऑनलाइन बातचीत के कहा, ‘‘ फिनलैंड में मुझे एक नया अनुभव हुआ। ओलंपिक की तैयारियों के दौरान मैंने एक शीर्ष-स्तरीय प्रतियोगिता का वास्तविक अनुभव किया। आप में इस तरह की नैसर्गिक प्रदर्शन की भावना तभी आती है जब आप बहुत सारे विश्व स्तरीय आयोजनों में भाग लेते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे लिए, वह एकमात्र अवसर था।’’ कोविड-19 महामारी के कारण लागू प्रतिबंधों के कारण मिली चुनौतियों के बारे में चोपड़ा ने कहा कि उनकी कोशिश सकारात्मक सोच बनाये रखने की है।
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उन्होंने कहा, ‘‘ जब मैं चाहता था तब मुझे अच्छी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं नहीं मिलीं। मुझे अभ्यास और प्रतियोगिता कार्यक्रम में कई बदलाव करने पड़े। लेकिन, मेरी सोच सकारात्मक है क्योंकि इस खेल में बहुत कुछ उस दिन विशेष के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। मैं बस अपना सर्वश्रेष्ठ देने और देश के लिए स्वर्ण जीतने के अपने सपने को साकार करने की उम्मीद कर रहा हूं।’’
वीजा समस्या के कारण वह ब्रिटेन के गेट्सहेड में होने वाले डायमंड लीग में भाग नहीं ले पाये थे। वह 26 जुलाई को तोक्यो रवाना होने से पहले अब किसी और प्रतियोगिता में भाग नहीं लेंगे। ओलंपिक की तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर इस खिलाड़ी ने कहा कि एकाग्रचित रहने के लिए वह संगीत का सहारा ले रहे है और अपनी तकनीक में सुधारने पर काम कर रहे हैं।
इस 23 साल के खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ मैं संगीत सुनता हूं और कल्पना करता हूं कि एक प्रतियोगिता में हूं, ओलंपिक में भाग ले रहा हूं और भाला फेंक रहा हूं, ताकि मैं अपनी पहली प्रतियोगिता (ओलंपिक) में बिल्कुल नया महसूस न करूं।’’
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उन्होंने अपने प्रदर्शन को लेकर कहा, ‘‘ फिनलैंड में मेरा प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ नहीं था। कुछ तकनीकी मुद्दे है, उस दिन खासकर भाला की ऊंचाई एक मुद्दा था। मेरा भाला उस दिन कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंच सका था । मुझे दूसरा भाला इस्तेमाल करना पड़ा। एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में मैंने स्वर्ण पदक जीता था लेकिन वहां भी भाले को अधिक ऊंचाई से फेंक रहा था। मैं भाले की ऊंचाई कम करने पर काम कर रहा हूं ताकि वह ज्यादा दूरी तय कर सके।’’
इन वैश्विक खेलों के दबाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ मैं एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान दबाव को अच्छी तरह से संभाल लेता था। लेकिन ओलंपिक पूरी तरह से एक अलग स्तर का खेल है। मैं कोई दबाव लेने से बचने की कोशिश कर रहा हूं।’’
उन्होंने कहा कि खेल रत्न के लिए नामांकन होने से उन्हें ओलंपिक में बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी। चोपड़ा ने कहा, ‘‘यह चौथी बार (नामांकन) है। मुझे तीन बार पुरस्कार नहीं मिला, इसका मतलब है कि मेरा प्रदर्शन काफी अच्छा नहीं था। ऐसे में यह पुरस्कार पाने के लिए मुझे ओलंपिक में अपना प्रदर्शन बेहतर करना होगा।’’
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ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा का क्वालीफिकेशन चरण चार अगस्त को और फाइनल सात अगस्त को होना है। उन्होंने कहा, ‘‘ ओलंपिक में क्वालिफिकेशन भी आसान नहीं होगा। यह 84 या 85 मीटर के आसपास होगा। प्रत्येक प्रतियोगी को तीन प्रयास मिलेंगे। फाइनल के लिए क्वालीफाई करने वालों को दो दिन का आराम मिलेगा, यह तरोताजा होने का अच्छा समय है।
चोपड़ा ने मार्च में पटियाला स्थित राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस) में 88.07 मीटर के थ्रो के साथ इंडियन ग्रां प्री तीन के दौरान अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड में सुधार किया था। उनके भाले ने इसके कुछ दिनों बाद उसी स्थान पर फेडरेशन कप के दौरान 87.80 मीटर की दूरी तय की थी। कुओर्टेन खेलों में उनका 86.79 मीटर का प्रयास इस सत्र में उनका तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। उन्होंने इस दौरान यूरोप में कुछ और प्रतियोगिताओं में भाग लिया था लेकिन वहां उनके भाले ने इससे कम दूरी तय की थी।